ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद अधिकांश बैंकों ने कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ाने में तेजी दिखाई है लेकिन जमा दरों में बढ़ोतरी के लिए उत्साह नहीं दिखाया। बैंक ऑफ बड़ौदा की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 के दौरान कुल वित्तीय निवेश में म्यूचुअल फंड और इक्विटी की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2019-20 के क्रमशः 2.6 फीसदी और 1.1 फीसदी की तुलना में बढ़कर 6.3 फीसदी और 1.9 फीसदी हो गई जबकि बैंक जमा की हिस्सेदारी इस दौरान 34.4 फीसदी से घटकर 25.5 फीसदी रह गई।
अब कर्ज की तुलना में डिपॉजिट कम होने से बैंकों ने भी एफडी और अन्य जमा पर ब्याज दरें बढ़ानी शुरू कर दी हैं। इससे खासतौर पर डेट म्यूचुअल फंड के निवेशक एफडी की तरफ लौट रहे हैं।
रेपो रेट बढ़ने के काफी देर बाद बढ़ा एफडी पर ब्याज
सितंबर 2022 तक बैंक डिपॉजिट की तुलना में म्यूचुअल फंड द्वारा मैनेज किए जाने वाले फंड (एयूएम) की ग्रोथ एक तिहाई ही रही। सुरक्षित निवेश के रूप में बैंक एफडी की तुलना डेट म्यूचुअल फंड से करें तो मार्च 2022 तक जहां बैंकों के एफडी की ग्रोथ 8.9 फीसदी रही, वहीं डेट फंड में 7 फीसदी की गिरावट आई। अप्रैल-सितंबर में डेट म्यूचुअल फंड का एयूएम 14 फीसदी से ज्यादा घटा जबकि टर्म डिपॉजिट में ढाई से तीन फीसदी बढ़ोतरी हुई है।
स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स पर मिलने वाले ब्याज में भी बढ़ोतरी
रेपो रेट के बढ़ने के बाद सरकार ने 1 अक्टूबर को पोस्ट ऑफिस की कई स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स पर मिलने वाले ब्याज में बढ़ोतरी की थी। 2 साल के टाइम डिपॉजिट पर ब्याज दर को 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया था। 3 साल के टाइम डिपॉजिट पर ब्याज दर को 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.8 प्रतिशत किया था। सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम पर ब्याज दर 7.4 प्रतिशत से बढ़कर 7.6 प्रतिशत कर दी गई। वहीं, मंथली इनकम अकाउंट स्कीम पर अब 6.7 प्रतिशत सालाना ब्याज मिल रहा है।