ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को अपनी स्वीकृति दे दी।
इस मिशन पर सरकार 19,744 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस पहल का मकसद देश को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है। मिशन के लिये शुरुआती खर्च के रूप में 19,744 करोड़ रुपये का प्रवधान है।
इस मिशन के क्रियान्वयन के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय दिशानिर्देश तैयार करेगा। मिशन के तहत 2030 तक देश में लगभग 1,25,000 मेगावॉट की संबद्ध नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ हर साल कम-से-कम 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है
इससे आठ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश और 2030 तक छह लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है। साथ ही इससे जीवाश्म ईंधन (कच्चा तेल, कोयला आदि) के आयात में एक लाख करोड़ रुपये तक की कमी आने का अनुमान है। इसके अलावा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पांच करोड़ टन की कमी आएगी.
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से होगा ये फायदा
आधिकारिक बयान के मुताबिक, मिशन से कई लाभ होंगे। इसमें हरित हाइड्रोजन और इससे संबद्ध उत्पादों के लिए निर्यात अवसरों का सृजन, उद्योगों, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी, जीवाश्म ईंधन आयात में कमी, देश में विनिर्माण क्षमता का विकास, रोजगार के अवसर सृजित होना और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का विकास शामिल है।
वित्तीय प्रोत्साहन के उपाय
यह मिशन हरित हाइड्रोजन की मांग तैयार करने के साथ उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा। हरित हाइड्रोजन कार्यक्रम के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप के तहत इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू स्तर पर विनिर्माण और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन उपाय किए गए हैं। इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में किया जाता है।