नई दिल्ली। टाटा ग्रुप की एयर लाइन एअर इंडिया ने 470 एयरक्राफ्ट की दुनिया की सबसे बड़ी एविएशन डील साइन की है। इस डील में एअर इंडिया को फ्रांस की कंपनी एयरबस से 250 एयरक्राफ्ट और अमेरिकी कंपनी बोइंग से 220 एयरक्राफ्ट मिलेंगे। इससे पहले दुनिया की सबसे बड़ी एविएशन डील का रिकॉर्ड अमेरिकन एयरलाइंस के नाम था, जिसने 2011 में एयरबस और बोइंग को 460 एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया था।
एअर इंडिया के टोटल ऑर्डर में से, 31 एयरक्राफ्ट साल के आखिर तक सर्विस में शामिल हो जाएंगे, बाकी विमान 2025 के मध्य तक आएंगे। एअर इंडिया ने ऑर्डर प्राइज की घोषणा नहीं की है। हालांकि, कुछ न्यूज रिपोर्टों में लिस्ट प्राइज पर डील की टोटल वैल्यू 70 बिलियन डॉलर (करीब 5.79 लाख करोड़ रुपए) बताई जा रही है। इसमें बोइंग के साथ हुई डील की वैल्यू 34 बिलियन डॉलर (करीब 2.81 लाख करोड़ रुपए) बताई गई है।
2005 के बाद पहली बार खरीद
2022 में टाटा ग्रुप के एअर इंडिया को खरीदने के बाद यह पहला एयरक्राफ्ट ऑर्डर है। वहीं 2005 के बाद यह पहली बार है जब एअर इंडिया ने एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया है। एयरलाइन का आखिरी ऑर्डर 111 एयरक्राफ्ट के लिए था जिनमें 68 बोइंग और 43 एयरबस से खरीदे गए थे। यह डील 10.8 बिलियन डॉलर की थी। टाटा ग्रुप की एअर इंडिया, एयर एशिया इंडिया, विस्तारा और एअर इंडिया एक्सप्रेस के पास 220 एयरक्राफ्ट हैं। इनमें 172 नैरो-बॉडी और 48 वाइड-बॉडी। 45 वाइड-बॉडी जेट का इस्तेमाल ओवरसीज ट्रैवल सेगमेंट के लिए होता है।
– डील इवेंट में पीएम मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉं, रतन टाटा शामिल हुए
– ग्लोबल मार्केट प्लेयर बनने की एअर इंडिया की तैयारी
– लगातार बढ़ रही एयर ट्रैवल की मांग
इंडिगो के पास 300 एयरक्राफ्ट
इनका इस्तेमाल डोमेस्टिक और छोटी दूरी के डेस्टिनेशन्स के लिए किया जा रहा है। इंडिगो 54.9 प्रतिशत शेयर के साथ मार्केट लीडर। है। टाटा ग्रुप की एयरलाइन्स का 26 प्रतिशत डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक पर नियंत्रण है। ओवरसीज ट्रैवल सेगमेंट में एअर इंडिया की मोनोपॉली है, खास तौर पर अमेरिकन और यूरोपियन डेस्टिनेशन्स में। सभी इंडियन कैरियर्स के पास करीब 800 विमान हैं, जिनमें से 500 एयरबस के नैरोबॉडी एयरक्राफ्ट हैं।
इतना बड़ा निवेश क्यों
भारत का डेली पैसेंजर ट्रैफिक 4.07 लाख पैसेंजर्स के कोविड से पहले के रिकॉर्ड को पार कर गया है। 12 फरवरी को इंडियन एयरपोर्ट्स पर 4.37 लाख पैसेंजर मूवमेंट देखी गई। ये दिखाता है कि किराया बढ़ने के बावजूद एयर ट्रैवल की डिमांड बढ़ रही है। भारत में 131 ऑपरेशनल एयरपोर्ट हैं और सरकार कनेक्टिविटी को बूस्ट देने के लिए इसे बढ़ाने का प्लान बना रही है। इन्हीं कारणों से एअर इंडिया इतना बड़ा निवेश कर रही है।
ग्लोबल लीडर बनना लक्ष्य
एअर इंडिया नए एयरक्राफ्ट को बेड़े में शामिल कर दुनिया के लंबी दूरी के अन्य डेस्टिनेशन्स तक भी अपनी सर्विस को बढ़ाना चाहती है। यहां अभी विदेशी एयरलाइंस का दबदबा है और वो बड़े आराम से मार्केट के इस बड़े हिस्से को कंट्रोल कर रही हैं। एअर इंडिया के इस मार्केट में उतरने से गल्फ कैरियर्स को सीधे-सीधे भारतीय एयरलाइन से टक्कर मिलेगी।
डील का समय
एयरबस और बोइंग के साथ एअर इंडिया की ये डील ऐसे समय में हुई है जब भारत को रूस से क्रूड ऑयल इंपोर्ट करने के लिए पश्चिमी देशों के डिप्लोमैटिक प्रेशर का सामना करना पड़ रहा है।
रोल्स-रॉयस के इंजन
एयरबस के ए 350 एयरक्राफ्ट के लिए ब्रिटिश कंपनी रोल्स-रॉयस इंजन बनाएगी। ऐसे में ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने कहा- इस समझौते से ब्रिटेन को भी फायदा होगा। वहीं अमेरिकी कंपनी बोइंग के 777एस और 787एस में जीई एयरोस्पेस के इंजन होंगे, जबकि सभी सिंगल-आइजल विमान में सीएफएम इंटरनेशनल के इंजन रहेंगे।
एयरबस का दबदबा
इंडियन मार्केट में एयरबस का दबदबा है। भारत के सिविल एविएशन मार्केट का लीडर इंडिगो एयरबस के ए320 का दुनिया का सबसे बड़ा कस्टमर है। भारत में नैरोबॉडी एयरक्राफ्ट का इतना बड़ा ऑर्डर मिलना बोइंग के लिए भी अहम है। एअर इंडिया की बोइंग और एयरबस के साथ इस डील को ‘मदर ऑफ ऑल एविएशन डील’ कहा जा रहा है। पिछले साल की शुरुआत में एअर इंडिया का अधिग्रहण करने के बाद से टाटा ग्रुप अपनी फ्लीट में सुधार के लिए एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर्स के साथ बातचीत में लगा है। एअर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने कहा था कि एअर इंडिया अगले 5 साल में दोनों रूट पर मार्केट शेयर को 30 फीसदी तक बढ़ाना चाहती है।
भारत की सक्सेस स्टोरी : पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा- यह महत्वपूर्ण डील भारत और फ्रांस के बीच गहरे होते संबंधों के साथ-साथ भारत के सिविल एविएशन सेक्टर की सक्सेस को दिखाती है। वहीं एयरबस के सीईओ ने इस डील को ऐतिहासिक पल बताया। उन्होंने कहा- एयरबस की मदद से एअर इंडिया अपने बदलाव की कहानी लिखेगा। इधर, ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने भी इस डील पर खुशी जताई।
एअर इंडिया और एयरबस ने एक वर्चुअल इवेंट में इस डील की घोषणा की। इवेंट में पीएम नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉं के साथ एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया, टाटा ग्रुप के मानद चेयरमैन रतन टाटा, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, एअर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन और एयरबस सीईओ गिलाउमे फाउरी शामिल हुए।
नैरोबॉडी प्लेन से एअर इंडिया 4-5 घंटे वाले शॉर्ट-हॉल डेस्टिनेशन सर्विस दे सकेगी। इससे वो इंडिगो को कड़ी टक्क र दे पाएगी, जिसका वर्तमान में 50 फीसदी से ज्यादा के डोमेस्टिक मार्केट पर कब्जा है। वहीं वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट टाटा को उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में अपने फुटप्रिंट बढ़ाने में मदद करेगा। एयर इंडिया के एफवाई 24 के आखिर तक लगभग 50 विमान बेड़े में जोड़ेगा। इससे उसकी कैपेसिटी करीब 50 फीसदी बढ़ जाएगी।
एयरबस के साथ डील के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एअर इंडिया और बोइंग के बीच 220 एयरक्राफ्ट की डील की घोषणा की। इसे लेकर जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी के बीच फोन पर बातचीत भी हुई। बाइडेन ने डील को दोनों देश के रिश्तों में मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा, इससे अमेरिका के 44 राज्यों में 10 लाख से ज्यादा नौकरियां जनरेट होंगी।