नई दिल्ली। इंडियन नेवी ने अरब सागर में अपने जहाज से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। डीआरडीओ द्वारा डिजाइन किए गए बूस्टर के साथ ब्रह्मोस ने अरब सागर में टारगेट पर सटीक हमला किया। मिसाइल का परीक्षण कोलकाता के बैटलशिप से किया गया। मिसाइल में स्वदेशी सामग्री बढ़ाने पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस लगातार काम कर रहा है।
इंडियन एयरफोर्स ने दिसंबर 2022 में बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह 400 किलोमीटर तक के टारगेट को निशाना बना सकती है। वायु सेना ने अपने ऑफिशियल बयान में कहा- इस मिसाइल को सुखोई एसयू-30 फाइटर एयरक्राफ्ट से टेस्ट किया गया था।
रक्षा विभाग ने बताया कि टेस्ट के दौरान मिसाइल ने टारगेट की गई शिप को बीचों बीच मारा। यह मिसाइल के एयर-लॉन्च वर्जन का एंटी-शिप वर्जन है।
कैसे नाम पड़ा ब्रह्मोस
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज (एनपीओएम)के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है।
रक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ब्रह्मोस का नाम भगवान ब्रह्मा के ताकतवर शस्त्र ब्रह्मास्त्र के नाम पर दिया गया। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। यह एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज है।
ब्रह्मोस पर एक नजर
– ब्रह्मोस रूस की पी-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।
– इस मिसाइल के कई वर्जन मौजूद हैं। ब्रह्मोस के लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है।
– जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किलोमीटर की रेंज में मैक 2 स्पीड से (2500किमी/घंटे) अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है।
– पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल को पानी के अंदर से 40-50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है।
– पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी।