नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण मौजूदा समय में दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में एक है। मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव इसका ही नतीजा है। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण ने मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है। अब बच्चे भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की वजह से डेंगू, मलेरिया, ब्रेन फीवर, डायरिया जैसी बीमारियों ने तेजी से पैर पसारे हैं। जलवायु परिवर्तन और तेजी से फैलते प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं, बच्चों और विकलांग लोगों को है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन बच्चों के शारीरिक विकास और क्षमता पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। यह बच्चों के लिए सीधे तौर पर बड़ा खतरा है।
50 करोड़ बच्चे हीटवेव से हैं प्रभावित
जलवायु परिवर्तन से बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर यूनिसेफ ने अपनी एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक हीटवेव से मौजूदा समय में करीब 50 करोड़ बच्चे प्रभावित हैं और सदी के मध्य तक हर साल करीब 2 अरब बच्चे इसकी चपेट में आ जाएंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट की मानें तो, दुनिया में 15 वर्ष से कम उम्र के 1.8 अरब बच्चे प्रदूषित वायु में सांस लेते हैं जो उनके स्वास्थ्य और विकास के लिए बड़ा जोखिम है। भारत के लिए और अधिक चिंता की बात है क्योंकि 2019 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 30 में से 21 सबसे प्रदूषित शहर भारत में हैं।