ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन किया है। इससे पहले, 1990 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 33 सीटें मिली थीं। 2002 के विधानसभा चुनाव में उसे 50, 2007 में 59 सीटें मिली थीं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं।
कांग्रेस का वोट शेयर तीन दशकों में सर्वाधिक कम इसी बार रहा। 1990 में जब भाजपा राम मंदिर आंदोलन चला रही थी तब कांग्रेस को 31 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन इस बार उससे भी कम 26 फीसद वोट ही मिले हैं।
भाजपा की प्रचंड जीत से कांग्रेस सदमे की स्थिति में आ गई है। इस बार हार इतनी कमरतोड़ है कि राज्य में पार्टी के फिर से उठने की उम्मीदें भी लगभग खत्म होती दिख रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के बीच ऐसी चर्चा है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। इसका सीधा फायदा पिछले ढाई दशक से अधिक समय से राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा को मिला।
विश्लेषक इस नजरिये से भी देखने लगे हैं कि अगले चुनाव में भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बजाय आदमी पार्टी हो सकती है । गुजरात के लिए कांग्रेस के पास अभी न कोई चेहरा है, न मुद्दा। इन चुनावों को लेकर बार बार यह जुमला भी उछलता रहा कि कांग्रेस भाजपा को वाकओवर देने जा रही है। परिणाम देखकर यही लगता भी है।
गुजरात विधानसभा चुनावों में वैसे तो कई हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे थे, लेकिन सारी निगाहें जामनगर उत्तर पर थी। यहां से क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा बीजेपी की उम्मीदवार थीं। रिवाबा ने अपने प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार करशनभाई करमूर को 50 हजार से ज्यादा मतों से हराया।