नई दिल्ली। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने युवाओं से कई विषयों पर दिलचस्प संवाद किया। मंत्री ने कहा, आप हिंदुस्तान की आकांक्षा से भरी पीढ़ी हैं। आपके पास एक्सपोजर है, आपको दुनिया की बेस्ट चीजें चाहिए, जैसे यूरोप, जापान, अमेरिका में होती हैं। वंदे भारत ट्रेन का उदाहरण देते उन्होंने कहा, आपकी पीढ़ी के लिए एक ऐसी नींव तैयार की जा रही है जो आपको विकसित परिवेश का अहसास करवाएगी। आप करियर और जिंदगी में आगे बढ़ें तो आपको एक विकसित देश का नागरिक होने का अवसर मिले तथा देश को और विकसित बनाने का जज्बा भी मिले।
180 किलोमीटर प्रति घंटे चलने वाली वंदे भारत ट्रेन के सोशल मीडिया में वीडियो पर भी उन्होंने स्टूडेंट्स से उनका अनुभव लिया। उन्होंने कहा कि यह ट्रेन कुछ ऐसे बनी है कि इतनी स्पीड के बावजूद इसमें रखा पानी का गिलास भी नहीं हिलता।
यह रियल स्टोरी है रील नहीं : रेल मंत्री ने वंदे भारत ट्रेन की कहानी सुनाते हुए युवाओं से कहा, यह इसलिए सुना रहा हूं क्योंकि आपकी पीढ़ी के लिए क्या तैयारी हो रही है, आपको पता होना चाहिए। यह रियल स्टोरी है ‘रील’ नहीं। इसमें देश को मजबूत नींव देने का माइंडसेट है, जिसमें बड़ी से बड़ी से चुनौती स्वीकार कर लेने की हिम्मत होती है और गोल को ‘अचीव’ करने का जज्बा भी।
मोदी ने दिया था टास्क : 2017 में प्रधानमंत्री ने रेलवे की टीम को वर्ल्ड क्लास ट्रेन बनाने का टास्क दिया था। उन्होंने कहा था, मेरे हिंदुस्तान के इंजीनियर, टेक्नीशियन, वेल्डर्स, इलेक्ट्रीशियन इसे डिजाइन करेंगे और यह वर्ल्ड क्लास ट्रेन पूरी दुनिया को जीतेगी।
हिम्मत हारने वाले नहीं : 2017 में वंदेभारत में काम शुरू हुआ, बहुत चुनौतियां आईं ंमगर 2019 में पहली वंदे भारत निकली और इसके बाद दुनिया भर के ट्रेन मैन्युफैक्चरर्स ने कोशिश की कि फिर कोई ट्रेन न निकले। मगर आप लोगों के लिए नींव तैयार करनी है तो हम हिम्मत हारने वाले लोग नहीं हैं। इसकी टेस्टिंग की, जो बदलाव करने थे किए, बिना रिप्लेसमेंट के इसने दुनिया की परिधि के बराबर 18 चक्क र लगाए और टेस्ट पूरे हुए।
अश्विनी वैष्णव ने स्टूडेंट्स से पूछा, जब आप 7, 8, 9, 10 सीजीपीए स्कोर पाते हैं, तो आपके पैरेंट्स क्या कहते हैं? वे और ज्यादा अंक लाने को कहते हैं। हमारे बॉस भी ऐसे ही हैं। वह अब भी संतुष्ट नहीं हैं। मोदी जी ने हमसे कहा, अच्छी है ट्रेन, इसे और अच्छा करो।
पैरामीटर पर यूरोप से बेहतर : यूरोप में डिजाइनिंग के पैरामीटर होते हैं ‘टॉलरेंस’, ‘मार्जिन ऑफ ऐरर’, वहां यह 3 मिलीमीटर है, तो हमें 1 एमएम से भी कम करना है। इसका असर यह है कि ट्रेन में न वाइब्रेशन है और नॉइस लेवल ऐरोप्लेन के नॉइस लेवल का बेहद कम है। जैसे मैथ्स की क्लास में साइलेंस होती है, वैसी चुप्पी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दावा किया है कि दुनिया के 18 देशों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। प्रधानमंत्री का लक्ष्य अगले साल 15 अगस्त तक 75 शहरों को वंदे भारत एक्सप्रेस से जोड़ने का है। रेलवे अब तीसरी पीढ़ी की वंदे भारत एक्सप्रेस पर काम कर रही है जो मौजूदा ट्रेनों से काफी हल्की होगी। अभी देश में छह ऐसी ट्रेनें चल रही हैं। पहली वंदे भारत एक्सप्रेस 2019 में दिल्ली और वाराणसी के बीच शुरू की गई थी। इसके बाद दिल्ली और कटड़ा के बीच इसकी शुरुआत की गई थी। हाल में नए जमाने की तीन वंदे भारत ट्रेनों को शुरू किया गया है। इन्हें मुंबई-गांधीनगर, ऊना-दिल्ली और मैसूरू-चेन्नई के बीच चलाया जा रहा है। वैष्णव ने कहा, ‘वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एक पावर प्लांट, बेहद जटिल कम्प्यूटर सिस्टम और बेहद जटिल मैकेनिकल सिस्टम का अद्भुत संगम है जो 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैक पर दौड़ सकती है।
अभी यह 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही है और ट्रैक को अपग्रेड करने के बाद यह अधिकतम स्पीड से दौड़ सकती है।’
तकनीक यूरोप से बेहतर
दावा किया जा रहा है कि इन ट्रेनों की तकनीक स्टैंडर्ड यूरोप से भी बेहतर है। उन्होंने कहा कि हम हर महीने तीन से चार वंदे भारत एक्सप्रेस लाएंगे।
पीएम ने की यात्रा
रेल मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस ट्रेन में करीब 40 किमी की यात्रा की और इस दौरान वह करीब 15 बार खड़े हुए। लेकिन एक बार भी उन्हें किसी चीज का सहारा नहीं लेना पड़ा।
खूबियां
- यूरोपीय देशों में डिजाइन टॉलरेंस 3.5 से चार मिलीमीटर होता है। वंदे भारत की बोगी में एक मिलीमीटर से कम डिजाइन टॉलरेंस।
- डिजाइन यूरोप में उपलब्ध सबसे सुपीरियर डिजाइन से भी अच्छा ।
- शानदार डिजाइन के कारण इसमें साउंड लेवल मात्र 60 डेसिबल है जबकि अमूमन विमान में यह 85 से 90 डेसिबल होता है।
- स्पीड में भी पानी का गिलास नहीं हिलता, nपीएम 15 बार बिना सहारे के खड़े हुए।
- 18 देशों ने दिखाई वंदे भारत में दिलचस्पी
- तीसरी पीढ़ी की वंदे भारत पर काम शुरू