कोरोना महामारी ने एक बार फिर दुनिया को डराना शुरू कर दिया है। कोरोना के ओमिक्रॉन के सबवैरिएंट बीएफ.7 ने चीन के साथ-साथ जिस तरह से अन्य देशों में कहर ढाना प्रारंभ किया है उससे भयभीत होना स्वाभाविक है। भारत में भी कोरोना को लेकर चिंता बढ़ी है क्योंकि हम इसके संक्रमण की कम से कम तीन लहरों से गुजर चुके हैं और हमारे देश में भी शायद ही कोई घर ऐसा हो जिसने इस भयावह त्रासदी का दंश न झेला हो। विशेषकर गत वर्ष अप्रैल-मई में डेल्टा वैरिएंट पर सवार होकर आई दूसरी लहर ने हमें अत्यधिक चिंता में डाल दिया था। तब हमारे यहां संक्रमण अपने चरमोत्कर्ष पर था। आज जब चीन, जापान इत्यादि देशों में नई लहर उठी है, तो बहुत से लोगों को पिछले साल का वह बुरा दौर फिर से याद आ-आ कर सताने लगा है। अमेरिका से भी ऐसी खबरें मिल रही हैं कि अगले साल अप्रैल तक दुनिया की एक बड़ी आबादी फिर संक्रमित हो सकती है और लाखों लोगों की मौत होने की आशंका है।
अगर हम संक्रमित लोगों की बात करें तो दुनिया में अभी भी दो करोड़ से अधिक लोग कोरोना के संक्रमण से ग्रस्त हैं। सर्वाधिक 67 लाख लोग तो सिर्फ जापान में ही संक्रमित हैं लेकिन यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि जापान की आबादी में बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है। सबसे विकसित अमेरिका में भी 19 लाख के आसपास लोग संक्रमित हैं। चीन अपने आंकड़ों के बारे के बारे में ईमानदारी से कोई जानकारी नहीं दे रहा है। उसके बताए आंकड़ों पर किसी को कोई विश्वास नहीं है। चीन ने अपने यहां मात्र 38 हजार के लगभग संक्रमित लोग बताए हैं। चीन के आंकड़ों पर विश्वास न करते हुए दुनिया के अनेक देशों ने अपने यहां सावधानी बरतनी शुरू कर दी है और बड़ी जनसंख्या वाला भारत भी इन देशों की लिस्ट में शामिल है जहां अभी से ही युद्धस्तर पर निगरानी और सावधानी बढ़ा दी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऑक्सीजन संयंत्रों, वेंटिलेटर, रसद और मानव संसाधन पर विशेष ध्यान देने के साथ बुनियादी ढांचे की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों में छद्म अभ्यास करने की सलाह दी है ताकि अगर कोरोना बढ़ता है तो उस समय हम हर तरह से तैयार हों। इसके लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर और सहयोगात्मक भावना से काम करने की जरूरत होगी जैसा कि कोविड की रोकथाम व प्रबंधन के लिए पिछले उछाल के दौरान भी किया गया था। तैयारी में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए की गई बैठक में कोविड की रोकथाम और प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारियों और टीकाकरण अभियान की प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक में मंत्रियों के अलावा प्रधान सचिवों, अतिरिक्त मुख्य सचिवों और राज्यों के सूचना आयुक्तों को भी बुलाया गया। संक्रमण के नए स्वरूप हों, तो उनका समय पर पता लगाना सुनिश्चित किए जाने तथा संक्रमित मामलों के नमूने के पूरे जीनोम अनुक्रमण की निगरानी प्रणाली को मजबूत करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन में कोविड के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कोरोना से निपटने की तैयारी की जानकारी लेने के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। उन्होंने अधिकारियों को टेस्टिंग और जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर निगरानी सिस्टम को और मजबूत करने के लिए भी राज्यों को सतर्क रहने को कहा गया। प्रधानमंत्री ने निर्देश दिए कि कोविड इंफ्रास्ट्रक्चर पर सभी तैयारियां पूरी हों, राज्यों में ऑक्सीजन सिलेंडर, पीएसए प्लांट, वेंटिलेटर और मानव संसाधन सहित अस्पताल के बुनियादी ढांचे को दुरुस्त रखा जाए। इन सभी जरूरी सुविधाओं का ऑडिट भी कराया जाए। जरूरी दवाओं की उपलब्धता और कीमतों की नियमित निगरानी करने की सलाह भी दी गई। पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ के साल के अंतिम एपिसोड में देश की जनता से आग्रह किया कि वह पर्वों का खूब आनंद ले लेकिन सतर्क भी रहे। दुनिया के कई देशों में कोरोना बढ़ रहा है, इसलिए मास्क और हाथ धोने जैसी सावधानियों का और ज्यादा ध्यान रखें। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हम जितना सावधान रहेंगे, उतना ही सुरक्षित भी रहेंगे।