सिंधु झा
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री और ब्रिटिश उद्यमी जॉर्ज सोरोस की टिप्पणी पर सवाल उठाया और कहा कि इसका समय ‘आकस्मिक’ नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों की राजनीति है, जो खुले तौर पर सियासी क्षेत्र में आने की हिम्मत नहीं रखते। राजधानी में मीडिया से बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘क्या आपको लगता है कि इसका समय आकस्मिक है? पता नहीं भारत में चुनावी मौसम शुरू हो गया है या नहीं, लेकिन लंदन और न्यूयॉर्क में जरूर शुरू हो गया है. यह राजनीति उन लोगों की है, जो राजनीतिक क्षेत्र में आने का साहस नहीं रखते। ’
उन्होंने सवाल किया कि अचानक ऐसी रिपोर्ट और जिक्र में उछाल क्यों है? क्या इनमें से कुछ चीजें पहले नहीं हो रही थीं? आप एक डॉक्यूमेंट्री बनाना चाहते हैं. लेकिन 1984 में दिल्ली में बहुत कुछ हुआ था। हमने उस पर कोई डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं देखी? उन्होंने कहा कि लोग खुद को नादान दिखाने की कोशिश करते हैं। यह राजनीति उन लोगों की है जो राजनीतिक क्षेत्र में आने का साहस नहीं रखते। वे यह कहकर अपना पल्ला झाड़ना चाहते हैं कि वे एक एनजीओ, मीडिया संगठन आदि हैं, लेकिन असल में वे राजनीति कर रहे हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि हाल के दिनों में भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब करके दिखाने वाली रिपोर्टों और विचारों में अचानक वृद्धि हुई है, लेकिन जनता का फैसला सभी गलतफहमियों को दूर कर देगा। एस जयशंकर ने कहा, ‘आप घटना दर घटना मत देखिए। पिछले कुछ वर्षों के बारे में सोचें- एक एपिसोड यहां, एक विशेषण वहां, एक तस्वीर, ये सब पत्थर पर गिरती उस बूंद की तरह है, जो लगातार टपक रही है। इसका एकमात्र मकसद एक ऐसी नेगेटिव छवि को आकार देने का है, जो अतिवादी दिखे। कोविड के दौरान देश ने मुश्किल वक्त देखा। आप हमारे कोविड के कवरेज को देखें। क्या दूसरे देशों में लोग नहीं मरे? क्या हमने वह कवरेज देखा, क्या आपने अन्य देशों से उस तरह की तस्वीरें देखीं?’ भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार किए गए ‘नैरेटिव’ का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि यहां ‘नैरेटिव’ की ही लड़ाई चल रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने लोगों को बेनकाब करने के लिए या अपने दृष्टिकोण को सामने रखने के लिए डिजाइन किए गए ‘नैरेटिव’ को सामने रखा है।