ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत अपनी क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली ‘नाविक’ का दायरा बढ़ाने की योजना बना रहा है ताकि इस योजना के विस्तार से नागिरक क्षेत्र और देश की सीमाओं से दूर यात्रा करने वाले जहाजों और विमानों का उपयोग और बढ़ाया जा सके। ‘नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन’ (नाविक) भारत में वास्तविक समय में स्थिति और समय से जुड़ी सेवाएं प्रदान करने के लिए सात उपग्रहों का उपयोग करता है। यह सेवा भारत में और देश की सीमाओं से 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होती है। हालांकि, कॉन्स्टेलेशन के कई उपग्रहों का एक्सपायर होने का समय आ गया है। इसरो अब इनमें से कम से कम पांच को बेहतर एल-बैंड से बदलने की योजना बना रहा है। इससे ये लोगों को बेहतर ग्लोबल पोजिशनिंग सर्विसेज (जीपीएस) प्रदान करने में सक्षम बन जाएंगे।
सात उपग्रह विफल हो गए
इसरो के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने यहां एक साक्षात्कार में कहा कि हमारे पास उत्पादन में पांच और उपग्रह हैं, निष्क्रिय उपग्रहों को बदलने के लिए उन्हें समय-समय पर प्रक्षेपित किया जाना है। नए उपग्रहों में एल-1, एल-5 और एस बैंड होंगे। ‘सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन’ द्वारा आयोजित इंडिया स्पेस कांग्रेस से इतर सोमनाथ ने कहा कि नाविक प्रणाली ‘‘पूर्ण परिचालन स्थिति’’ में नहीं है क्योंकि इसके सात उपग्रहों में से कुछ विफल हो गए हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने नाविक की पहुंच का विस्तार करने के लिए मध्यम पृथ्वी कक्षा में अतिरिक्त 12 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की अनुमति के लिए सरकार से भी संपर्क किया है।
नए उपग्रह एल-1 बैंड से युक्त : वर्तमान में नाविक द्वारा उपयोग किए जाने वाले सात उपग्रहों में से तीन भूस्थैतिक कक्षा में हैं और चार भूसमकालिक कक्षा में। साथ ही, उपग्रहों का वर्तमान समूह एल-5 बैंड और एस बैंड में काम करता है, जिनका उपयोग परिवहन और विमानन क्षेत्रों के लिए किया जाता है। सोमनाथ ने कहा कि हमें नए उपग्रहों को एल-1 बैंड से लैस करना होगा, जो सार्वजनिक उपयोग के लिए एक विशिष्ट जीपीएस बैंड है। हमारे पास यह नाविक में नहीं है। यही कारण है कि यह नागरिक क्षेत्र में आसानी से प्रवेश नहीं कर पाया है।