ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। स्वरोजगार स्थापित करने के लक्ष्य के साथ युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) निरंतर तत्पर है। वर्तमान सरकार अधिकारों व सुविधाओं से वंचित लोगों के कल्याण के लिए काम कर रही है। समरसतायुक्त समाज की स्थापना के लिए आर्थिक सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम आर्थिक सशक्तिकरण का आधार है। इस कार्यक्रम और योजना के प्रभावशाली क्रियान्वयन से ग्रामीण क्षेत्र से युवाओं के पलायन को रोकने में मदद मिल सकती है। योजना के लाभों के बारे में जन-जन तक जानकारी पहुंचाने के लिए समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन सरकार व संबंधित विभाग द्वारा किया जा रहा है।
ऐसे ही एक कार्यक्रम को डॉ. बी.आर. सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एल.एस. सोलंकी ने सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय भारत सरकार, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, म.प्र. खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र एवं बाबू जगजीवन राम पीठ, ब्राउस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम एवं संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने योजना व कार्यक्रम के अनेक लाभों से सभी को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि पीएमईजीपी से आर्थिक सशक्तिकरण का लक्ष्य पाया जा सकता है।
सबसे बेहतर योजना
चर्म पदत्रण संस्था के सचिव श्याम पंडारकर ने कहा कि केन्द्र सरकार की योजनाओं में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना स्वरोजगार के लिए सबसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि इस योजना से जुड़ने वाले हितग्राही अपनी गतिविधियों को कभी बंद नहीं करते और उससे वे स्वयं और दूसरों को भी रोजगार देने का कार्य अनवरत रूप से करते हैं।
ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं युवा
छात्र कल्याण अधिष्ठाता तथा बाबू जगजीवन राम पीठ के प्रोफेसर डॉ. शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि युवा स्वरोजगार से जुड़ कर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं। विश्वविद्यालय निरंतर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर विद्यार्थियों को रोजगार कर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रयासरत है।
50 लाख तक का लोन
खादी ग्रामोद्योग, भोपाल के सहायक निदेशक पराग जैन ने कहा कि पीएमईजीपी योजना के अंतर्गत युवाओं को उद्योग एवं सेवा क्षेत्र के लिए वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से अधिकतम 50 लाख रुपए तक एवं सेवा क्षेत्र के लिए अधिकतम 20 लाख रुपए तक ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के अंतर्गत वर्गवार शहरी क्षेत्रों में 15 से 25 प्रतिशत तक एवं ग्रामीण क्षेत्र के लिए 25 से 35 प्रतिशत तक मार्जिन मनी अनुदान शासन द्वारा दिया जाता है।
नए आयाम स्थापित करना संभव
खादी ग्रामोद्योग के सहायक निदेशक राजीव खन्ना ने कहा कि पीएमईजीपी योजना को ग्रामीण क्षेत्र में प्रभावी ढंग से लागू कर पलायन रोका जा सकता है तथा रोजगार सृजन के नए-नए आयाम विकसित किये जा सकते हैं। विभागाध्यक्ष डॉ संगीता मसानी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापना के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किये जाते रहे हैं। परम्परागत स्वरोजगार में रुचि रखने वाले एवं इस उद्योग में कार्य करने के इच्छुक अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। युवाओं में कौशल विकसित करने की जरुरत है।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और मां सरस्वती, डाक्टर बी.आर. अम्बेडकर, महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि व माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन बाबू जगजीवन राम पीठ के शोध अधिकारी डॉ रामशंकर ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के इंदौर के नोडल अधिकारी आश्विन कुमार ने किया। इस अवसर पर सहायक प्राध्यापक डाक्टर अरुण कुमार, पी.सी. बंसल, रीतु त्रिवेदी, हिमाशी सोनी, संगीता मसानी, शीतल झा, संतोष गुजरे, प्रवीण वाग, शंकर गोहिल, अरविंद साकल्य तथा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, अतिथि विद्वान, विजिटिंग फैकल्टी, कर्मचारी सहित महू के कई गण्यमान्य आदि भारी संख्या में उपस्थित रहे।