लोकतंत्र, मानव अधिकार, आर्थिक प्रगति और विश्व शांति के खिलाफ आतंकवाद एक नासूर की तरह है। हमें इसे जीतने नहीं देना है। यह बात जगजाहिर है कि कोई भी एक देश या संगठन आतंकवाद को अकेला नहीं हरा सकता। आज बढ़ता आतंकवाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति लोकतंत्र, मानवाधिकार, आर्थिक प्रगति और विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हमें हर हाल में इस खतरे से पार पाना ही होगा। अब समय आ गया है कि राजनीति और देश की सीमाओं से ऊपर उठ कर हर देश को आतंक फैलाने वाली संस्थाओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी। अगर हम ऐसा नहीं कर सके तो स्वयं के साथ तो अन्याय करेंगे ही, अपनी आने वाली पीढि़यों को भी अशांत और अस्थिरता भरा माहौल देकर जाएंगे जहां वे हर पल जीवन की रक्षा और सुरक्षा के प्रति भयाक्रांत रहेंगे।
आतंकवाद के मुद्दे पर ही हाल ही में भारत ने इसी संदर्भ में नई दिल्ली में दो दिवसीय ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन का आयोजन किया था। सम्मेलन में इस बात का जिक्र भी आया कि एक संस्था सामाजिक गतिविधि की आड़ में युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर उन्हें आतंक की तरफ धकेलने की साजिश करने में संलिप्त थी। उसे देश में माहौल बिगाड़ने के आरोप के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया। सम्मेलन में इस बात पर भी विशेष चिंता व्यक्त की गई कि कुछ देशों ने आतंक को अपनी राष्ट्रनीति बना लिया है। ऐसे देश यह जानते-बूझते भी कि आतंकवाद को बढ़ावा देना उनके लिए भी घातक और हानिकारक है, पर फिर भी वे ऐसी संस्थाओं एवं उनके समर्थकों को आश्रय दे रहे हैं और उन्हें फंडिंग भी कर रहे हैं। ऐसे देशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समुचित कार्रवाई किए जाने के सुझाव के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसी संस्थाएं और व्यक्ति, जो आतंकवाद के लिए सहानुभूति पैदा करने की कोशिश में जुटे हैं, उन्हें भी बिल्कुल अलग-थलग कर देना चाहिए। ऐसे मामलों में कोई किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए। आतंकवाद को खुलेआम और छिपकर किए जा रहे हर तरह के सपोर्ट के खिलाफ पूरी दुनिया को एक होना होगा।
पीएम मोदी ने चेताया कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं ये बिल्कुल न समझें कि युद्ध नहीं हो रहा है तो शांति है। प्रॉक्सी वार भी उतना ही खतरनाक और हिंसक है। आज दुनिया को इस सच को समझना ही होगा कि आतंकवाद को किसी भी रूप में प्रश्रय देना किसी के भी हित में नहीं है। चाहे वह जानबूझ कर किया जा रहा हो अथवा अनजाने में।
वैसे तो ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन समाप्त हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं जिसमें आतंकवादियों को समर्थन तथा आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के तरीकों पर चर्चा के लिए 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के करीब 450 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसी बीच विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को कतर द्वारा फीफा विश्व कप में आमंत्रित किए जाने की खबर आना काफी चिंताजनक है। इससे यही जाहिर होता है कि अभी भी कुछ देश आतंकवाद और उसके समर्थकों को प्रश्रय न दिए जाने के विचार को संजीदगी से नहीं ले रहे। जाकिर नाइक को भारत ने भगोड़ा घोषित कर रखा है। इस साल मार्च में भारत के गृह मंत्रालय ने जाकिर नाइक द्वारा स्थापित इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को भी गैरकानूनी संगठन घोषित किया था और उस पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। भारतीय भगोड़े जाकिर नाइक को कथित तौर पर कतर द्वारा चल रहे फीफा विश्व कप के दौरान इस्लाम पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया है। ऐसे समय में जबकि दुनिया आतंकवाद से जूझ रही है, नाइक को एक मंच देना नफरत फैलाने के लिए एक ‘आतंकवादी सहानुभूति’ देने जैसा है। यह अत्यंत गंभीर मामला है और पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी भी। इसलिए सभी देशों को एकजुट होकर विश्व में कहीं भी हो रहे इस प्रकार के प्रयासों की कड़ी से कड़ी निंदा करनी चाहिए। साथ ही ऐसे प्रयासों को रोकने के लिए समुचित कार्रवाई भी की जानी चाहिए।
वर्तमान में अब एक नई विश्व व्यवस्था उभर रही है। नई व्यवस्था समग्र रूप से पूर्ववर्ती व्यवस्था की तुलना में बेहतर है पर यह बहुत अधिक जटिल भी होती जा रही है। वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए अब ओर अधिक सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है जिसका मानवता को सामना करना पड़ रहा है। भारत वर्तमान में सुरक्षा परिषद आतंकवाद विरोधी समिति का अध्यक्ष भी है। भारत ने हमेशा से आतंकवाद पर विश्व समुदाय को आगाह किया है कि आतंकवाद से पूरी दुनिया को खतरा है। दुनिया आतंकवाद और आतंकवादियों को लेकर दोहरे मानदंड न अपनाए। विश्व समुदाय को आतंकी खतरे को अलग-अलग नजरिये से देखना बंद कर इस पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना होगा। हमें यह सत्य कभी नहीं भूलना चाहिए कि सब मिलकर ही मजबूत बनते हैं और एकता में ही शक्ति है।