ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। डीआरडीओ भारतीय सेना के लिए नया, ज्यादा खतरनाक, एडवांस और तेज-तर्रार एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम नाग-एमके2 बनाने जा रहा है। एक इंटरव्यू के दौरान डीआरडीओ चीफ डॉ. समीर वी. कामत ने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि नाग-एमके2 अपने पुराने वर्जन से कहीं ज्यादा बेहतर होगा। यह हल्का, हर मौसम में काम करने वाला, फायर एंड फॉरगेट तकनीक से लैस होगा। इसमें मिसाइल लॉन्च करने के बाद लॉक ऑन का ऑप्शन होगा यानी एक बार टारगेट मिसाइल के निशाने पर आ गया तो कहीं भी भाग ले, बच नहीं पाएगा।
इन तकनीकों से लैस होने के बाद नाग-एमके2 के वार से दुश्मन का बच पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इसकी रेंज बढ़ाई जा रही है, साथ ही इसकी परफॉरमेंस को भी। इस बार इस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल वॉरफेयर सिस्टम में हेलिना मिसाइल प्रोग्राम को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही इसमें जेट वेन कंट्रोल सिस्टम होगा। इससे इसकी मैन्यूवेरिबिलिटी और सटीकता और बेहतर हो जाएगी। इसका इस्तेमाल सेना और वायुसेना दोनों करती हैं।
एक मिसाइल का वजन 43 किलोग्राम व लंबाई 6.1 फीट होती है। इसकी मिसाइलों में टैंडम-चार्ज हीट यानी बंकर, टैंक, बख्तरबंद वाहनों को उड़ाने वाले 8 किलोग्राम के विस्फोटक लगाए जाते हैं।
रेंज 500 मीटर से 4 किलोमीटर
इसमें लगने वाली मिसाइलों जैसे- नाग की रेंज 500 मीटर से 4 किलोमीटर है। हेलिना यानी ध्रुवास्त्र की रेंज 7 से 10 किलोमीटर है। इसके अलावा संत मिसाइल की रेंज 15-20 किलोमीटर है। इसकी मिसाइलें अलग-अलग रेंज की हैं, जो अलग-अलग गति से उड़ान भरती हैं। ये बीच रास्ते में दिशा भी बदल सकती हैं।