आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शुक्रवार सुबह नए रॉकेट एसएसएलवी डी3 की लॉन्चिंग कर दी। इसके साथ ईओएस-08 मिशन के तौर पर नया अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट लॉन्च किया गया जो आपदाओं के बारे में अलर्ट देगा। इसे सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया गया है। इसरो ने बताया कि एसएसएलवी-डी3-ईओएस के प्रक्षेपण से पहले काउंटडाउन 02: 47 बजे शुरू हो चुका था।
तकनीकी प्रदर्शन भी करेगा
अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही पर्यावरण और आपदा को लेकर जानकारी देगा। इसके साथ ही तकनीकी प्रदर्शन भी करेगा। लगभग 175.5 किलोग्राम वजन वाला ईओएस-08 कई वैज्ञानिक और व्यावहारिक क्षेत्रों में मूल्यवान डाटा और अंतर्दृष्टि का योगदान देने के लिए तैयार है।
तीन अत्याधुनिक पेलोड
ईओएस-08 में तीन अत्याधुनिक पेलोड हैं: एक इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), दूसरा ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और तीसरा एसआईसी यूवी डोसिमीटर।
दिन और रात दोनों छवियों को कैप्चर करने के लिए डिजाइन
ईओआईआर पेलोड को मध्य-तरंग आईआर और लंबी-तरंग आईआर बैंड में दिन और रात दोनों छवियों को कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो आपदा निगरानी से लेकर आग का पता लगाने और ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन तक के अनुप्रयोगों को सक्षम बनाता है।
महासागर की सतह की हवा का विश्लेषण
जीएनएसएस-आर पेलोड महासागर की सतह की हवा के विश्लेषण, मिट्टी की नमी के आकलन और बाढ़ का पता लगाने के लिए अभिनव रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
एक वर्ष के लिए तय है ईओएस-08 का मिशन
ईओएस-08 में कई स्वदेशी रूप से विकसित घटक भी शामिल हैं, जिनमें सौर सेल निर्माण प्रक्रियाएं और माइक्रोसेट अनुप्रयोगों के लिए एक नैनो स्टार-सेंसर शामिल हैं। इसरो ने कहा था कि नवाचार के लिए मिशन की प्रतिबद्धता बेहतर प्रदर्शन के लिए एक्स-बैंड डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम तक फैली हुई है।
इसरो ने कहा, अपने नियोजित एक वर्ष के मिशन जीवन के साथ, ईओएस-08 महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करने के लिए तैयार है, जो पृथ्वी की प्रणालियों की समझ को बढ़ाएगा और समाज और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए लाभकारी अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला का समर्थन करेगा।
एसएसएलवी को मिल जाएगा यह दर्जा
एसएसएलवी डी3 की लॉन्चिंग के बाद एसएसएलवी को पूरी तरह से ऑपरेशन रॉकेट का दर्जा मिल जाएगा। एसएसएलवी-डी1/ईओएस-02 के पहले मिशन ने अगस्त 2022 में उपग्रहों को इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया था। दूसरी विकासात्मक उड़ान 10 फरवरी, 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च की गई थी। एसएसएलवी रॉकेट की लागत पीएसएलवी रॉकेट से करीब छह गुना तक कम है।