ब्लिट्ज विशेष
नई दिल्ली। अक्टूबर का महीना गुजरने के साथ ही मौसम का रुख भी पलटने लगा है। देश में एक साथ एक्टिव हुए दो पश्चिमी डिस्टर्बेंस (विक्षोभ) 10 राज्यों में ठिठुरन भरी सर्दी लाएंगे। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना में तापमान तेजी से गिरेगा। दिन और रात के तापमान में 11 से 17 डिग्री का अंतर आने की आशंका है। मौसम विभाग के अनुसार इस समय उत्तर और पश्चिम से लेकर मध्य भारत तक ड्राइ नॉर्थ-वेस्ट हवाएं चल रही हैं। उत्तर के पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद ये हवाएं बर्फीले इलाकों से गुजरती हुई मध्य भारत तक ठंडक लेकर पहुंचेंगी। इनकी वजह से ही नवंबर से देश में दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से उत्तर से लेकर मध्य भारत तक दिन में भी ठिठुरन महसूस होगी।
दिन में मौसम साफ रहेगा, सुबह-शाम होगी सर्दी
गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में आसमान साफ रहने से रात से सुबह के समय सर्दी महसूस होगी पर दोपहर का तापमान 30 से 35 डिग्री के बीच ही रहने का अनुमान है। मध्य भारत तक के हिस्सों में सुबह और शाम के समय धुंध और कुहासा छा सकता है। बिल्कुल खुले स्थानों पर हल्का कोहरा भी छा सकता है। दूसरी तरफ, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और समूचे उत्तर-पूर्वी राज्यों में मौसम शुष्क बना रहेगा और तापमान धीरे-धीरे गिरेगा।
बारिश नहीं, ला-नीना है सर्दी के लंबे चलने की वजह
बारिश ज्यादा हुई है पर इसका सर्दी पर असर नहीं पड़ेगा। मौसम विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि कम या ज्यादा बारिश का सर्दी से संबंध नहीं होता। जैसे इस बार सामान्य से 6 फीसद ज्यादा बारिश हुई। मानसून के बाद भी करीब 65 फीसद ज्यादा बारिश हुई। मानसून की विदाई भी देर से हुई तो सर्दी भी ज्यादा पड़ेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता।
ला-नीना है इस बार ज्यादा सर्दी पड़ने का कारण
विश्व मौसम संगठन के मुताबिक ला-नीना की गतिविधियां उत्तरी गोलार्ध में 2022-23 की सर्दियों के दौरान जारी रहेंगी। यानी इसके मार्च 2023 तक बने रहने की संभावना है। इसके चलते अगले चार महीने कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है।
पिछली बार के मुकाबले ज्यादा होंगे सर्द दिन
इस वर्ष सर्द दिनों की संख्या औसत से अधिक रहेगी। यह लगातार तीसरी सर्दी होगी, जब ला-नीना की स्थितियां बनी रहेंगी। इसका असर बंगाल की खाड़ी में भी दिखेगा। हाल ही में गुजरे समुद्री तूफान सितरंग की तरह अगले दो से तीन महीनों में कई तूफान विकसित हो सकते हैं।
2019 था सदी का दूसरा सबसे ठंडा साल
इस वर्ष इंडियन ओशन डायपोल परिस्थितियां न्यूट्रल हैं। मौसम विशेषज्ञ भी चेता रहे हैं कि हाल के वर्षों में 2020 से 2022 तक तीन ला-नीना वर्षों के ठीक पहले 2019 सदी का दूसरा सबसे ठंडा वर्ष था, उस वर्ष देश के कई इलाकों में सर्द दिनों की संख्या औसत से दोगुना तक थीं लेकिन उस वर्ष ला-नीना परिस्थितियां नहीं थीं।
दक्षिणी प्रायद्वीप में उत्तर-पूर्वी मानसून की आमद
बंगाल की खाड़ी से उत्तर-पूर्वी हवाओं के साथ दक्षिणी प्रायद्वीप की ओर नमी आनी शुरू हो गई है। इस मानसून का पूर्वोत्तर राज्यों से भी लेना-देना नहीं है। यह मध्यम दर्जे की बारिश के साथ तमिलनाडु, तटीय आंध्र और केरल में आएगा और दिसंबर तक सक्रिय रहेगा। तमिलनाडु की करीब 47 फीसद, आंध्र व तेलंगाना की 31 फीसद, कर्नाटक की 21 फीसद और केरल की 17 फीसद बारिश उत्तर-पूर्वी मानसून में होती है। एक उल्टी बात यह भी है कि जिस वर्ष ला-नीना का असर रहता है, उस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून में उत्तर और मध्य भारत में ज्यादा बारिश होती है, लेकिन उत्तर-पूर्व मानसून के दौरान दक्षिणी प्रायद्वीप में कम बारिश होती है।