नई दिल्ली। एयर मार्शल डॉ. आरती सरीन ने गौरव के कई अवसर हासिल किए हैं। उन्होंने सेना के तीनों अंगों में रहकर देशसेवा की अनोखी उपलब्धि हासिल की है। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा स जुड़ीं आरती पहली अफसर हैं, जो थलसेना और नौसेना के बाद अब वायुसेना के लिए सेवाएं देंगी।
आरती 1985 में थलसेना में शामिल हुई थीं। 1989 से 2022 तक नौसेना में सेवाएं दीं। सर्जन वाइस एडमिरल आरती अब एयर मार्शल के पद पर तैनात हुई हैं। उनके भाई कोमोडोर राजेश सरीन नौसेना में थे। वह तीन पनडुब्बियों और एक फ्रिगेट के कमांडर रह चुके हैं। उनके पिता भी 1942 से 1984 तक नौसेना में थे। वह द्वितीय विश्व युद्ध व 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में शामिल थे।
लेफ्टिनेंट के पद से कॅरिअर की शुरुआत
महिला सैन्य अधिकारी सरीन ने 1985 में सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा में कमीशन प्राप्त किया था। कैप्टन के पद पर रहते हुए उन्हें 1989 में नौसेना में बतौर सर्जिकल लेफ्टिनेंट नियुक्ति मिली। चिकित्सा सेवा के अधिकारी ही सेना के तीनों अंगों में तैनाती पा सकते हैं।
जहां पढ़ीं, वहीं की बनी कमांडेंट
पिछले साल अक्तूबर में डॉ. आरती ने नौसेना के पुणे स्थित आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) की कमांडेंट के रूप में पदभार ग्रहण किया था। इसी कॉलेज से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी।
टिंपनी स्कूल, विशाखापत्तनम की छात्रा रहीं आरती ने एएफएमसी, पुणे से रेडियोलॉजी में स्नातकोत्तर किया। टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई से डीएनबी रेडिएशन ओंकोलॉजी में भी डिग्री ली। उन्होंने अमेरिका के पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय से गामा नाइफ सर्जरी में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
कोविड के दौरान दक्षिणी कमान का नेतृत्व
एयर मार्शल आरती कोरोना के खिलाफ लड़ाई के दौरान दक्षिणी नौसेना कमान, कोच्चि का नेतृत्व कर रही थीं। उनके पति सुदीप नायडू लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन हैं। वह नौसेना में रियर एडमिरल रह चुके हैं।