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जनवरी 2024 की मकर संक्रांति पर गर्भगृह में विराजमान होंगे रामलला

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जनवरी 2024 की मकर संक्रांति पर गर्भगृह में विराजमान होंगे रामलला

by Blitzindiamedia
January 7, 2023
in उत्तर-प्रदेश
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जनवरी 2024 की मकर संक्रांति पर गर्भगृह में विराजमान होंगे रामलला

ब्लिट्ज ब्यूरो

अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की अयोध्या। यहां रामलला के भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण कार्य अनवरत चल रहा है। मंदिर का काम 3 चरणों में होना है। पहले चरण का काम दिसंबर 2023 में पूरा हो जाएगा। इसमें गर्भगृह भी शामिल है। जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के दिन इसी गर्भगृह में रामलला विराजमान होंगे।

गर्भगृह में भगवान का आसन स्वर्ण का होगा। मंदिर का शिखर भी सोने का हो सकता है। इस स्वर्ण जड़ित शिखर को दान करने के लिए महाराष्ट्र के एक बिजनेसमैन ने जन्मभूमि ट्रस्ट से अनुरोध किया है लेकिन इस पर अभी तक ट्रस्ट ने कोई सहमति नहीं दी है। राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या में राम पथ, भक्ति पथ, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, राम की पैड़ी समेत 50 से ज्यादा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है जिनमें कई जगह का विकास किया जाना शामिल है। केंद्र सरकार अयोध्या को सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने का खाका खींच चुकी है।

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एक दूसरी प्रतिमा भी गर्भगृह में स्थापित होगी
राम जन्मभूमि के ट्रस्ट के सदस्य और अयोध्या के राजा विमलेंद्र प्रताप मिश्र के अनुसार भगवान राम की बाल स्वरूप मूर्ति अभी बहुत छोटी है। इसलिए गर्भगृह में विराजमान होने के बाद श्रद्धालु सही से दर्शन कर सकें, इसके लिए बाल स्वरूप की बड़ी मूर्ति भी बनवाई जाएगी। इसे गर्भगृह में ही प्राण प्रतिष्ठा के बाद स्थापित किया जाएगा। यह मूर्ति (रेप्लिका) 2.5 से 3 फीट ऊंची हो सकती है। इसके लिए देश के बड़े मूर्तिकारों को स्केच बनाने के लिए कहा गया है। इनमें पद्मश्री और पद्म विभूषण से सम्मानित आर्टिस्ट भी शामिल हैं। कोशिश है कि यह मूर्ति बाल स्वरूप कोमल दिखने वाली हो और इसमें भगवान कमल पर विराजे हों। उन्होंने बताया कि मूर्ति संगमरमर की होगी। इसके लिए राजस्थान में पत्थर की दो शिलाएं भी खरीद ली गई हैं। गर्भगृह का दरवाजा सागौन की लकड़ी से बनाया जाएगा। यह लकड़ी महाराष्ट्र से आएगी। इसके अलावा गर्भगृह में कर्नाटक से लाए ग्रेनाइट के पत्थरों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

नए साल में 5 मंडप बनकर तैयार होंगे
राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र बताते हैं कि दिसंबर 2023 में ग्राउंड फ्लोर बनकर तैयार हो जाएगा। इस फ्लोर पर गर्भगृह समेत 5 मंडप भी होंगे जिनके नाम गुड़ी मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप, कीर्तन मंडप होंगे। इसके साथ ही मंदिर में प्रवेश करने के लिए सिंह द्वार का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाएगा। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय होगा। मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जा रहा है।

भगवान राम का सूर्य तिलक से होगा अभिषेक
मंदिर के दूसरे फ्लोर का काम 2024 में शुरू हो जाएगा जिस पर राम दरबार होगा। तीसरा फ्लोर भी बनेगा लेकिन उस पर श्रद्धालुओं की एंट्री नहीं होगी। मंदिर का शिखर 161 फीट ऊंचा होगा। रामनवमी के दिन भगवान राम का सूर्य तिलक से अभिषेक होगा। यानी सूर्य की किरण सीधे भगवान के ऊपर तक आएगी। यह किरण कैसे आएगी, इसके लिए आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर काम कर रहे हैं। गर्भगृह के चारों तरफ 14 फीट चौड़ा परिक्रमा कॉरिडोर भी होगा। मंदिर से 25 से 27 मीटर की दूरी पर परकोटे (प्लिंथ) का निर्माण किया जाएगा। इसकी ऊंचाई करीब 16 फीट होगी। परकोटे पर दक्षिण पूर्व की दिशा में विष्णु पंचायतन मंदिर, उत्तर पूर्व में दुर्गा जी का मंदिर, ईशान कोण पर गणेश जी का, अग्नि कोण पर शंकर भगवान, उत्तर दिशा में अन्नपूर्णा माता और गर्भगृह के दक्षिण ओर हनुमान जी का मंदिर होगा। मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में और निकास दक्षिण में होगा।

350 मजदूर और कारीगर दिन-रात जुटे
डॉ. अनिल मिश्र के अनुसार मंदिर निर्माण का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। फिलहाल जन्मभूमि पर 350 मजदूर और कारीगर दिन-रात कार्यरत हैं। इसके साथ ही करीब एक हजार मजदूर और कारीगर राजस्थान में भरतपुर जिले के वंशी पहाड़पुर में कार्यरत हैं। मंदिर परिसर में यात्री सुविधा केंद्र भी बनाया जाएगा। यहां 25 हजार यात्रियों के सामान के रखने की व्यवस्था रहेगी। इस बार नए साल के पहले दिन 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आए।

भगवान के गुलाबी वस्त्र
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के अनुसार नए साल के पहले दिन भगवान राम ने गुलाबी रंग के वस्त्र धारण किए। उन्हें विशेष भोग चढ़ाया । इत्र से भगवान का अभिषेक किया। पूजा में देश और दुनिया में अमन-शांति की प्रार्थना की गई। सत्येंद्र दास रामलला की 1992 से पूजा कर रहे हैं। तब उन्हें यह दायित्व तत्कालीन कमिश्ानर ने सौंपा था। उसके बाद भगवान करीब 27 साल तक तिरपाल में रहे। पहले भगवान के भोग के लिए हर महीने 10 हजार रुपए मिलते थे, अब एक लाख रुपए मिलते हैं। भगवान का भोग वैष्णव परंपरा के अनुसार ही लगता है।

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