ललित दुबे
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने महिलाओं के नेतृत्व वाली विकास पहलों पर जोर देते हुए कहा कि देश का लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का है। महिलाओं की स्थिति पर 68वें वार्षिक आयोग सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि हम एक ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जहां महिलाएं खुद से सशक्त हों।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण
उन्होंने 2047 तक पूर्ण विकसित भारत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए कहा, भारत सरकार महिलाओं की सार्थक भागीदारी के माध्यम से उनकी अपार शक्ति को पहचानती है, जो महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ रही है।
निष्िक्रय नहीं योगदानकर्ता
उन्होंने कहा, हमें यह सुनिश्चित करने की उम्मीद है कि महिलाएं विकास लाभों के निष्िक्रय प्राप्तकर्ताओं के बजाय योगदानकर्ताओं के रूप में विकसित राष्ट्र का नेतृत्व करेंगी।
बहुआयामी रणनीति के बारे में बताया
वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 10.3 प्रतिशत महिलाएं अत्यधिक गरीबी में रह रही हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र को महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता को संबोधित करके उन्हें सशक्त बनाने के लिए देश में लागू की जा रही एक बहुआयामी रणनीति के बारे में बताया।
कंबोज ने कहा, इन पहलों का उद्देश्य लैंगिक न्याय, समानता और भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देने में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना है।
759 वन-स्टॉप सेंटर
एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 759 वन-स्टॉप सेंटरों का एक मजबूत नेटवर्क एकीकृत समर्थन और सहायता प्रदान करता है, जिससे 8.3 लाख से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। वन स्टॉप सेंटर योजना निजी और सार्वजनिक स्थानों, परिवार, समुदाय और कार्यस्थल पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं की सहायता करती है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के मूल कारणों को लक्षित करता है। इसके परिणामस्वरूप जन्म के समय लिंगानुपात में प्रति एक हजार पुरुषों पर 918 महिलाओं से सुधरकर 933 महिलाओं तक पहुंच गया है।
स्टेम विषयों में उच्चतम अनुपात
भारत विश्व स्तर पर स्टेम विषयों (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एंड मैथ) में 43 प्रतिशत नामांकित महिलाओं के उच्चतम अनुपात वाले देशों में से एक है।
नागरिक उड्डयन में 15 फीसदी महिला पायलट
यह कहते हुए कि देश में महिलाएं आज आसमान छू रही हैं, उन्होंने बताया कि नागरिक उड्डयन में 15 प्रतिशत महिला पायलट हैं, जो वैश्विक औसत पांच प्रतिशत से काफी अधिक है।
पेटेंट में 500 गुना से अधिक वृद्धि
इसके अलावा, 2014-15 के बाद से महिलाओं द्वारा पेटेंट दाखिल करने में भी 500 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है और 55 हजार से अधिक स्टार्टअप में 67 हजार से अधिक महिला निदेशक हैं।
स्टार्ट-अप इंडिया स्टैंड-अप इंडिया योजना
जमीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप इंडिया स्टैंड-अप इंडिया योजना से महिला उद्यमियों को लाभ हुआ है। इसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप के लिए 10 प्रतिशत धनराशि आरक्षित है।
महिलाएं कहीं भी पीछे नहीं
कम्बोज ने कहा, महिलाएं कहीं भी पीछे नहीं हैं। उनकी संख्या हर दिन बढ़ रही है लेकिन हम यहीं नहीं रुकेंगे। विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए हमें अभी लंबा सफर तय करना है। हम एक ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जहां महिलाएं आत्मनिर्भर हों -सशक्त और किसी पर निर्भर नहीं।
360 अरब डॉलर की आवश्यकता
यूएन वूमेन द्वारा साझा किए गए 48 विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख वैश्विक लक्ष्यों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण हासिल करने के लिए प्रति वर्ष अतिरिक्त 360 अरब डॉलर की आवश्यकता है जिसमें गरीबी और भूख को समाप्त करना शामिल है।