ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। मुंबई की एक अदालत ने आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की आत्महत्या के मामले में गिरफ्तार छात्र अरमान खत्री को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि केवल सुसाइड नोट में लगे आरोप से यह निष्कर्ष निकालना सही नहीं होगा कि आरोपी ने उकसाने का अपराध किया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि खत्री जातिगत भेदभाव के आधार पर सोलंकी को परेशान कर रहा था या उसे आत्महत्या के लिए उकसाया था। खत्री को नौ अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। एडिशनल सेशन जज ए. पी. कनाडे ने उसे जमानत दे दी थी।
अदालत ने अपने दस पन्नों के आदेश में कहा है कि दर्शन सोलंकी आत्महत्या मामले में आरोपी के खिलाफ जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं मिला, जिससे यह पता चले कि आवेदक/ आरोपी जातिगत भेदभाव के आधार पर छात्र को परेशान कर रहा था। कोर्ट ने कहा कि सुसाइड नोट में आवेदक/आरोपी के नाम के अलावा किसी भी ऐसे कृत्य या घटना का जिक्र नहीं है जिसके तहत यह पता चले कि आरोपी ने जानबूझकर मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाया।
क्या है मामला
अहमदाबाद के बीटेक (केमिकल) के फर्स्ट ईयर के छात्र सोलंकी की सेमेस्टर परीक्षा खत्म होने के एक दिन बाद 12 फरवरी को पवई स्थित आईआईटी परिसर में एक हॉस्टल की इमारत की सातवीं मंजिल से कथित रूप से कूदने के बाद मौत हो गई थी। तीन हफ्ते बाद मुंबई पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को सोलंकी के कमरे से एक लाइन का नोट मिला, जिसमें लिखा था, ‘अरमान ने मुझे मारा है।’
संदेह के आधार पर हुई थी गिरफ्तारी
पुलिस के अनुसार, यह पता चला है कि आरोपी खत्री ने अपने मुस्लिम धर्म के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के चलते सोलंकी को एक ‘पेपर कटर’ दिखाकर जान से मारने की धमकी दी थी। हालांकि, खत्री ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया कि उसका कथित अपराध से कोई संबंध नहीं है और उसे घटना के लगभग दो महीने बाद संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया गया।