ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जमीनों के कब्जे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को झटका दिया है। अदालत ने सीबीआई जांच पर रोक की मांग वाली बंगाल सरकार की अर्जी को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही ममता सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिर किसी को बचाने की जरूरत क्या है। अदालत ने पूछा, ‘आखिर सरकार क्यों किसी को बचाना चाह रही है?’ अदालत ने इस मामले में बंगाल सरकार की यह कहते हुए भी खिंचाई की कि इस केस में टीएमसी का एक नेता शामिल है। इसके बाद भी आपने कुछ नहीं किया।
सभी मामले संदेशखाली से जुड़े हैं
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा, ‘ये सभी मामले संदेशखाली से जुड़े हैं। आपने आरोपी को गिरफ्तार करने समेत कोई भी एक्शन नहीं लिया।’ इसके अलावा अदालत ने 10 अप्रैल को दिए हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय ने जो बातें कहीं, उसमें कुछ गलत नहीं था। इसके अलावा केस को लेकर अदालत की टिप्पणी से जांच पर कोई असर नहीं दिखेगा।
– कहा, आखिर किसी को क्यों बचा रही सरकार
मनु सिंघवी ने ममता सरकार का पक्ष रखा
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में ममता सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट यह कह सकता था कि ईडी के अफसरों पर हमले के मामले में सीबीआई जांच करे लेकिन उसकी ओर से राशन घोटाला भी सीबीआई को सौंप देना गलत है। राज्य सरकार ने राशन घोटाले की जांच कराई। इसके अलावा यौन उत्पीड़न और जमीन कब्जाने के मसले पर भी जांच की गई। इस मामले में कुल 42 चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसके बाद भी आखिर क्यों केस सीबीआई को ट्रांसफर किया गया। उच्च न्यायालय ने इसकी कोई वजह भी नहीं बताई थी।