डॉ. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। दुनिया के 44 देशों में हर छठा बच्चा साइबर बुलिंग का शिकार है। धीरे-धीरे ऑनलाइन की दुनिया बच्चों के लिए असुरक्षित होती जा रही है। यूरोप, मध्य एशिया और उत्तरी अमेरिका में 279,000 बच्चों पर हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक हर महीने 15 फीसदी बच्चे और 16 फीसदी बच्चियां साइबर बुलिंग का शिकार हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2022 में 11 से 15 साल के 16 फीसदी बच्चे साइबर बुलिंग के शिकार हुए, जो कि 2018 की तुलना में 3 फीसदी अधिक है। वहीं, चार साल पहले ये आंकड़े 13 प्रतिशत थे। डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट ने यह चिंताजनक स्थिति बताई है।
छह घंटे ऑनलाइन समय बिता रहे बच्चे
रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे रोजाना 6 घंटे ऑनलाइन समय बिता रहे हैं, ऐसे में साइबर बुलिंग बच्चों पर बड़ा असर डाल सकती है। अध्ययन में सबसे अधिक साइबर बुलिंग बुल्गारिया में दर्ज की गई।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि माता- पिता की सामाजिक स्थिति से बच्चों की साइबर बुलिंग को लेकर कोई बदलाव नहीं देखा गया।
तेजी से वर्चुअल हुए बच्चे-किशोर
रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान बच्चों और किशोरों की दुनिया तेजी से वर्चुअल होती गई। कोविड-19 महामारी के बाद अपने हमउम्र के साथ वर्चुअल हिंसा खासतौर पर प्रासंगिक हो गई है।
अध्ययन में शामिल किए गए 11 फीसदी लड़के-लड़कियों ने बताया कि महीने में कम-से-कम दो या तीन बार उन्हें स्कूल में साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा। बच्चों और किशोरों के बीच साइबर अपराध के ऐसे मामले बढ़े हैं। कोविड महामारी ने बच्चों के एक दूसरे के प्रति आचरण में बदलाव ला दिया है।