मनोज जैन
नई दिल्ली। वैश्विक रुख से अलग हटकर भारत ने 2023 की पहली छमाही के दौरान चीन से सौर मॉड्यूल आयात में 76 प्रतिशत की कटौती की है जो सौर विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के दृढ़ बदलाव को दर्शाती है। वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल-दर-साल चीन से भारत का सौर मॉड्यूल आयात 2022 की पहली छमाही में 9.8 गीगावॉट से घटकर 2023 में इसी अवधि के दौरान केवल 2.3 गीगावॉट रह गया। टैरिफ लगाने के साथ यह रणनीतिक बदलाव, आयात पर निर्भरता को कम करने और अपनी घरेलू विनिर्माण क्षमता के विकास को प्राथमिकता देने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प को रेखांकित करता है।
एम्बर में इंडिया इलेक्टि्रकसिटी पॉलिसी एनालिस्ट नेश्विन रॉड्रिग्स ने कहा, ‘सोलर मॉड्यूल आयात के लिए चीन पर भारत की निर्भरता 2022 के बाद लगातार कम हो रही है। घरेलू विनिर्माण गति पकड़ रहा है। चूंकि भारत सौर विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के करीब है, इसलिए चीनी मॉड्यूल और सेल पर निर्भरता अब कोई बाधा नहीं है। अब महत्वपूर्ण यह है कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक सक्षम नीतिगत वातावरण बनाना होगा कि सौर प्रतिष्ठान राष्ट्रीय विद्युत योजना के साथ तालमेल कैसे बनाए रखा जाए।
भारत ने आयात में कटौती और स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल 2022 से सौर मॉड्यूल पर 40 प्रतिशत और सौर सेल पर 25 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाना शुरू कर दिया था। आयात निर्भरता को कम करने और एक मजबूत घरेलू सौर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करने के लिए देश की प्रतिबद्धता स्थिरता और ऊर्जा आत्मनिर्भरता के देश के व्यापक लक्ष्यों का प्रमाण है।
ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की राष्ट्रीय योजना के अपने निर्धारित योगदान (एनडीसी) के अनुसार, भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंन्धन आधारित संसाधनों से 500 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। सौर इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के केंद्र में है।
एम्बर में डेटा लीड सैम हॉकिन्स ने वैश्विक मॉड्यूल आपूर्ति के साथ तालमेल रखने के लिए इंस्टॉलेशन और ग्रिड एकीकरण में तेजी लाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, हमारे पास पर्याप्त सौर पैनल हैं, हमें बस उन्हें स्थापित करने में व्यस्त होने की आवश्यकता है। उन्होंने उन नीतियों का आह्वान किया जो बढ़ती मॉड्यूल आपूर्ति से मेल खाने के लिए स्थापना और ग्रिड एकीकरण के तेजी से स्केलिंग को प्राथमिकता देती हैं।