नई दिल्ली। उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीशों के एक समूह ने खुला पत्र जारी कर कहा है कि भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से समाज पर बड़े पैमाने पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। पत्र में कहा गया है कि हम पूर्व न्यायाधीशों का एक समूह हैं, भारत के कर्तव्यनिष्ठ और चिंतित नागरिक, निहित स्वार्थ समूहों द्वारा भारतीय विवाह परंपराओं और परिवार प्रणाली के मूल सिद्धांतों के खिलाफ निरंतर हमले से क्षुब्ध और व्यथित हैं। इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय द्वारा विचार किया जा रहा है और संविधान पीठ को भेजे जाने के बाद देश में हाल के दिनों में इसमें तेजी आई है।
देश के लोग सदमे में : पत्र में कहा गया, देश के लोग, जो क्षेत्रीय और धार्मिक रेखाओं के समाज के विभिन्न स्तरों से आते हैं, इस पश्चिमी रंग के दृष्टिकोण से गहरे सदमे में हैं, जो परिवार प्रणाली को कमजोर करने के लिए भारतीय समाज और संस्कृति पर आरोपित किया जा रहा है।
मुखर विरोध जरूरी : पत्र में कहा गया है कि एक महान और समय की कसौटी पर खरी उतरी संस्था को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का समाज द्वारा मुखर विरोध किया जाना चाहिए। सदियों से भारतीय सांस्कृतिक सभ्यता पर लगातार हमले होते रहे हैं लेकिन तमाम बाधाओं के बावजूद वह बची रही। अब स्वतंत्र भारत में यह पश्चिमी विचारों, दर्शन और प्रथाओं के आरोपण द्वारा अपनी सांस्कृतिक जड़ों पर हमले का सामना कर रहा है।
न्यायालय के दुरुपयोग की साजिश : पश्चिम जिन कैंसरकारी समस्याओं का सामना कर रहा है, कुछ स्वार्थी समूह उन्हें भारत में आयात करने की मांग कर रहे हैं। समान-सेक्स विवाह से एचआईवी प्रभावितों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो सकती है। पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि जीवन के अधिकार पर पसंद के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता देने से भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
संसद में भी हो बहस : उपरोक्त के मद्देनजर इस संवेदनशील मुद्दे पर संसद और राज्य विधानमंडल में भी बहस की जानी चाहिए। कानून को भी समाज की इच्छा का प्रतिनिधित्व करना चाहिए और समाज के कुछ अभिजात वर्गों की इच्छा को पूरा नहीं करना चाहिए।
खुले पत्र के 21 हस्ताक्षरकर्ताओं में राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएन झा, न्यायमूर्ति एमएम कुमार, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, गुजरात लोकायुक्त न्यायमूर्ति एसएम सोनी और न्यायमूर्ति प्रमुख हैं।