ब्लिट्ज ब्यूरो
भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन के भी साइड इफेक्ट्स सामने आए हैं। यह बात साइंस जर्नल स्पि्रंगलिंक में पब्लिश हुई एक रिसर्च के हवाले से कही गई है। रिसर्च के मुताबिक, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में हुई स्टडी में हिस्सा लेने वाले लगभग एक तिहाई लोगों में कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं। इन लोगों में सांस संबंधी इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉटिंग और स्किन से जुड़ी बीमारियां देखी गईं ं। रिसर्चर्स ने पाया कि टीन-एजर्स खास तौर पर लड़कियों और किसी भी एलर्जी का सामना कर रहे लोगों को कोवैक्सिन से खतरा है।
कंपनी का दावा
हालांकि कुछ दिन पहले कोवैक्सिन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि उनकी बनाई हुई वैक्सीन सुरक्षित है।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोवैक्सिन के दो डोज लगवाए थे स्टडी में वैक्सीन से होने वाली दो समस्याएं प्रमुखता से सामने आईं ं।
1. लोगों में सांस संबंधी इन्फेक्शन बढ़ रहा है। स्टडी करने वाले शंख चक्रवर्ती ने कहा, हमने उन लोगों का डेटा कलेक्ट किया जिन्हें वैक्सीन लगे एक साल हो गया था। 1,024 लोगों पर स्टडी हुई। इनमें से 600 किशोर और 251 वयस्क शामिल थे। स्टडी के मुताबिक, 304 टीन एजर्स और 124 वयस्कों में सांस संबंधी इन्फेक्शन यानी कि अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन देखा गया। इससे लोगों में सर्दी, खांसी जैसी बीमारियां देखी गईं ं।
2. स्किन से जुड़ी बीमारियां:
रिसर्च में हिस्सा लेने वाले टीनएजर्स में स्किन से जुड़ी बीमारियां , नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर और जनरल डिसऑर्डर देखे गए। वहीं, में जनरल डिसऑर्डर (8.9 प्रतिशत), मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़े डिसऑर्डर (5.8 प्रतिशत) और नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर (5.5प्रतिशत) देखे गए।
सुरक्षा का मूल्यांकन देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया
हालांकि 2 मई को कंपनी ने कहा था कि कोवैक्सिन की सुरक्षा का मूल्यांकन देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया था। कोवैक्सिन बनाने से लगाने तक लगातार इसकी सेफ्टी मॉनिटरिंग की गई थी। कोवैक्सिन के ट्रायल से जुड़ी सभी स्टडीज और सेफ्टी फॉलोअप एक्टिविटीज से कोवैक्सिन का बेहतरीन सेफ्टी रिकॉर्ड सामने आया है।
कोवीशील्ड की कंट्रोवर्सी
कोवीशील्ड को लेकर भी कंट्रोवर्सी चल रही है कि इसे लगाने से कुछ लोगों को थ्रॉम्बोसिस सिंड्रोम यानी टीटीएस हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है। स्ट्रोक और हार्ट बीट थमने जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।
एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटिश अदालत में माना
दरअसल, भारत की सबसे पहली कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड है। इसे पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है। कोवीशील्ड फॉर्मूला ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका से लिया गया है। एस्ट्राजेनेका ने अब ब्रिटिश अदालत में माना कि उनकी वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स हैं।