ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पहले आम चुनाव में करीब 20 लाख बैलट बॉक्स का इस्तेमाल किया गया था। मद्रास सहित कुछ इलाकों में लकड़ी के बॉक्स भी इस्तेमाल में लाए गए, लेकिन ज्यादातर राज्यों में चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार स्टील के बॉक्स ही मतदान केंद्रों में रखे गए थे।
बॉक्स बनाने में स्टील की जरूरत को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने इंडस्ट्री एंड सप्लाई मिनिस्ट्री से अनुरोध किया था कि उन इकाइयों को स्टील मुहैया कराया जाए, जिन्हें राज्य सरकारों ने बैलट बॉक्स बनाने का ऑर्डर दिया है। ये बॉक्स बनाने में 8 हजार 165 टन स्टील लगा था।
– एक साथ हुए थे लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव
रंगीन बैलेट बॉक्स
विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एकसाथ हो रहे थे, लिहाजा अलग- अलग रंगों के बॉक्स रखे गए। देश में साक्षरता बहुत कम थी। मतदाताओं को रंग पहचानने में कोई दिक्क त न हो, इसलिए बैलट बॉक्स पर संबंधित रंग का बैकग्राउंड सफेद रखा गया था। चुनाव आयोग ने तय किया कि लोकसभा चुनाव में बैलट बॉक्स ऑलिव ग्रीन, मीडो ग्रीन, पेल ग्रीन और बुंसविक ग्रीन कलर के होंगे। विधानसभा चुनावों के लिए चॉकलेट, महोगनी, टीक, डार्क टैन और ब्रॉन्ज कलर चुने गए। इस बात का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया कि वे अपने यहां किन रंगों के बैलट बॉक्स का उपयोग करेंगे। राज्यों को सुझाव दिया गया था कि वे अपनी जरूरत के सारे बैलट बाक्स किसी एक ही फर्म से तैयार कराएं ताकि उनका डिजाइन एक जैसा रहे।