दीप्सी द्विवेदी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि नागरिक हम विश्वास करें, हम नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षक हैं। कोई भी मामला अदालत के लिए छोटा नहीं। सीजेआई प्रख्यात न्यायविद और भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल स्वर्गीय एडवोकेट अशोक देसाई की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में ‘कानून और नैतिकता’ पर व्याख्यान दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि हम पर भरोसा करें। देश में किसी भी अदालत के लिए कोई भी मामला छोटा या बड़ा नहीं है क्योंकि यह हम पर है कि नागरिकों का विश्वास, कानून और सुरक्षा की उचित प्रक्रिया में स्वतंत्रता कायम रखें। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय में एक मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई मामला बहुत छोटा नहीं है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप करना न्यायालय का कर्तव्य है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने भाषण की शुरुआत देसाई के लिए संस्कृत उद्धरण के साथ की, जिन्होंने अपना जीवन भारत के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में लगा दिया। उन्होंने कहा, ज्ञान विनम्रता के कंधों पर हल्के से बैठता है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस मामले का हवाला दिया, जिसमें एडवोकेट देसाई ने विजय तेंदुलकर के नाटक सखाराम, द बाइंडर का प्रभावी ढंग से बचाव किया, जहां नायक ने भारतीय समाज की क्रूरता को उजागर किया। नायक परित्यक्त महिलाओं को भोजन और आश्रय प्रदान करके समाज के रीति-रिवाजों के खिलाफ विद्रोह करता है। उन्होंने कहानी सुनाई कि कैसे एडवोकेट देसाई के नेतृत्व वाली कानूनी टीम को नाटक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का आभास हो गया था, फिर भी रातोंरात याचिका का मसौदा तैयार किया और बॉम्बे हाईकोर्ट से संपर्क किया। वे पुलिस की किसी भी प्रतिकूल कार्रवाई को प्रभावी ढंग से रोकने में सक्षम रहे।
उन्होंने कहा कि कई तरह से यह कहा जा सकता है कि भाषण और अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए अशोक देसाई की प्रतिबद्धता ने कलाकारों, पत्रकारों और लेखकों को आश्वस्त किया कि वे स्वतंत्र रूप से और आत्मविश्वास से अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग कर सकते हैं। समारोह का आयोजन बॉम्बे बार एसोसिएशन ने अशोक देसाई के परिवार के साथ किया। एक्टिंग चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस दीपांकर दत्ता भी इस अवसर पर मौजूद थे।