ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। मुस्लिम पुरुषों को तलाक का एकतरफा अधिकार देने वाले तलाक-ए-हसन के प्रावधान को चुनौती देने वाली तलाक पीड़िता बेनजीर हिना की याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पति यूसुफ को भी पार्टी बना लिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह कानूनी सवालों को खुला रख रहा है, लेकिन पहले इस पहलू को भी देखना चाहता है कि क्या दोनों पक्षों में आपसी सुलह से कोई रास्ता निकल सकता है? अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी। पति से तलाक के 3 नोटिस पा चुकी गाजियाबाद की बेनजीर हिना के अलावा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस. ओका की बेंच ने मुंबई की तलाक पीड़िता नाजरीन निशा की याचिका पर भी सुनवाई की।
नाजरीन निशा की याचिका पर भी कोर्ट ने पति को नोटिस जारी किया और इस मामले को भी 11 अक्टूबर को सुना जाएगा। दोनों याचिकाकर्ताओं ने अपना व्यक्तिगत मामला कोर्ट में रखा है। साथ ही, यह मांग भी की है कि तलाक-ए-हसन जैसी व्यवस्था को असंवैधानिक करार देकर रद्द कर दिया जाए। सुनवाई के अंत में तलाक पीड़िता बेनजीर हिना ने भी कोर्ट में अपनी बात रखी। बेनजीर ने कहा, मैं चाहती हूं कि मेरे पति हमारे साथ रहें व मेरी और हमारे बच्चे की जिम्मेदारी उठाएं। इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, हमने अगली तारीख पर आपके पति को बुलाया है। उनसे बात करके देखते है कि क्या रास्ता निकलता है?
बेनजीर हिना ने क्या कहा?
बेनजीर हिना ने यह भी कहा कि बात सिर्फ उनकी नहीं है, हज़ारों-लाखों मुस्लिम लड़कियों की है। हजारों ऐसी लड़कियां है, जो पढ़ी-लिखी नहीं हैं। परिवार के नियमों के कारण अपनी दहलीज से बाहर तक नहीं निकल सकतीं। पति उनसे आसानी से अलग हो जाते हैं और उन्हें समझा दिया जाता है कि सब कुछ इस्लाम के मुताबिक हुआ है। इसलिए, इसका विरोध नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनकी याचिका के बाद ऐसी कई महिलाओं ने उनसे संपर्क कर अपनी पीड़ा बताई।