सिंधु झा
नई दिल्ली। देश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस ने भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा के सात वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह एक बहु आयामी वायुयान है जो अपनी श्रेणी में नायाब माना गया है। इसे वायु रक्षा, समुद्री सर्वेक्षण और प्रहार भूमिका निभाने के लिए तैयार किया गया है। मल्टीमोड एयरबोर्न रडार, हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, सेल्फ प्रोटेक्शन सूट व लेजर डेजिग्नेशन पॉड ने तेजस को काफी अत्याधुनिक बना दिया है।
तेजस को वायु सेना में शामिल करने वाला पहला स्क्वाड्रन नंबर-45 था जिसे ‘फ्लाइंग डैगर्स’ के नाम से जाना जाता था। ‘फ्लाइंग डैगर्स’ द्वारा उड़ाया गया प्रत्येक विमान भारत में बना है, या तो लाइसेंस उत्पादन के तहत, या फिर भारत में डिजाइन और विकसित किया गया है। मई 2020 में स्क्वाड्रन नंबर-18 तेजस को संचालित करने वाली दूसरी वायु सेना इकाई बनी।
– भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं का बना प्रदर्शक
– तेजस का नया संस्करण बढ़ी हुई दूरी से अधिक हथियारों को दागने में होगा सक्षम
भारतीय वायुसेना ने मलेशिया में एलआईएमए-2019, दुबई एयर-शो 2021, 2021 में ही श्रीलंका वायुसेना के वर्षगांठ समारोह, सिंगापुर एयर-शो 2022 और 2017-23 एयरो इंडिया-शो सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में विमान प्रदर्शित करके भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।
इसने पहले ही घरेलू स्तर पर विदेशी वायुसेना के साथ अभ्यास में भी भाग लिया था। मार्च 2023 में संयुक्त अरब अमीरात में ‘एक्स डेजर्ट फ्लैग’ तेजस का विदेशी धरती पर पहला ऐसा अभ्यास था। भारतीय वायु सेना ने तेजस पर पूरा भरोसा जताया है। 83 ‘एलसीए एमके-1ए’ का खरीद ऑर्डर इसी भरोसे से जुड़ा है। इसमें अद्यतन अवियोनिक्स के अलावा एक एक्टिव इलेक्ट्राॅनिकली स्टिरॉयड रडार, अद्यतन इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और एक बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल क्षमता होगी।
तेजस का नया संस्करण बढ़ी हुई दूरी से अधिक हथियारों को दागने में सक्षम होगा। इनमें से कई हथियार स्वदेशी होंगे। एलसीए एम-के-1 में विमान में स्वदेशी सामग्री में पर्याप्त वृद्धि देखी जाएगी। विमान की अनुबंधित आपूर्ति फरवरी 2024 में शुरू होने की उम्मीद है। आने वाले बरसों में एलसीए और इसके भविष्य के वेरिएंट भारतीय वायुसेना का मुख्य स्तंभ बनेंगे।