ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। गैरकानूनी तरीके से एक 58 वर्षीय कर्मचारी को सेवानिवृत्त कर देना एक संस्था को महंगा पड़ा है। ओडीसीएल कर्मचारी संघ के पूर्व महासचिव दिनेश कुमार पात्रा को इस समयावधि में होने वाली पदोन्नति और अन्य सभी सरकारी लाभों के साथ 17 साल का पूरा वेतन प्रदान करने का ओडिशा हाईकोर्ट ने आदेश दिया है।
ओडिशा ड्रग्स एंड केमिकल्स लिमिटेड कर्मचारी संघ के मुताबिक 19 मई, 1998 की अधिसूचना के अनुसार केंद्र सरकार के उर्वरक और रसायन विभाग व सरकारी उद्योग ओडिशा ड्रग्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (ओडीसीएल) के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष थी। 2006 में निदेशक नंदकिशोर सिन्हा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बिना सेवानिवृत्ति की आयु सीमा दो वर्ष घटाकर 58 वर्ष करते हुए विज्ञप्ति जारी कर दी।
कर्मचारियों से नाराजगी पर उठाया ऐसा कदम
उन्होंने कुछ कर्मचारियों पर आक्रोश दिखाते हुए ऐसा किया था। मामला उच्च न्यायालय तक गया। उच्च न्यायालय ने 2006 में याचिकाकर्ता राजकिशोर सत्पथी को तत्काल प्रभाव से 60 वर्ष तक काम करने का अवसर देने का आदेश दिया था।
कर्मचारी के पक्ष में फैसला
हालांकि ओडीसीएल के अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने भी अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी थी और सत्पथी के पक्ष में फैसला सुनाया था।
इसी तरह वाणिज्य विभाग के अधिकारी कृष्ण कुमार पंडा ने भी उच्च न्यायालय का रुख किया। ओडीसीएल के अधिकारियों ने पंडा के पक्ष में उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
हर बार कर्मचारियों के हित में आया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी और हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। ओडीसीएल कर्मचारी संघ के पूर्व महासचिव पात्रा भी अदालत गए। अदालत ने दोनों मामलों के आदेशों की जांच की और पात्रा के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत पहले ही 60 कर्मचारियों को दो साल का वेतन देने का आदेश दे चुकी है। मामला 1999 से अदालत में चल रहा था। इस आदेश के बाद अब 24 साल पुरानी अदालती लड़ाई समाप्त हो गई है।