सिंधु झा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर लगातार काम कर रही है। इस बाबत सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रादेशिक सेना (टीए ) की महिला अधिकारियों को पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा (एलओसी ) पर तैनात करने को मंजूरी दे दी है। प्रादेशिक सेना की महिला अधिकारियों को एलओसी पर तैनात करने का मकसद उनकी नियुक्ति के दायरे को बढ़ाने के साथ ही उनकी पेशेवर आकांक्षाओं को पूरा करना है। वे अब यूनिटों और नियुक्तियों की एक विस्तृत श्रृंखला में अपने पुरुष समकक्षों की तरह ही समान स्थितियों के तहत काम करेंगी और ट्रेनिंग लेंगी।
टेरिटोरियल आर्मी नागरिक सैनिकों की सेना की अवधारणा पर आधारित है और इसके अधिकारी नागरिक जीवन में लाभकारी रूप से कार्यरत रहते हुए बुनियादी सैन्य कौशल से संबंधित वार्षिक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। प्रादेशिक सेना भारतीय सेना की एक इकाई तथा सेवा है। इसके स्वयंसेवकों को प्रतिवर्ष कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर देश की रक्षा के लिये उनकी सेवायें ली जा सकें।
भारतीय संविधान सभा द्वारा सितंबर,1948 में पारित प्रादेशिक सेना अधिनियम,1948 के अनुसार भारत में अक्टूबर, 1949 में प्रादेशिक सेना स्थापित हुई। इसका उद्देश्य संकटकाल में आंतरिक सुरक्षा का दायित्व लेना और आवश्यकता पड़ने पर नियमित सेना को यूनिट (दल) प्रदान करना तथा नवयुवकों को देशसेवा का अवसर प्रदान करना है। सामान्य श्रमिक से लेकर सुयोग्य प्राविधिज्ञ तक भारत के सभी नागरिक, जो शरीर से समर्थ हों, इसमें भर्ती हो सकते हैं। आयु सीमा 18 और 35 वर्ष हैं, जिसमें सेवानिवृत्त सैनिकों और प्राविधिज्ञ सिविलियनों के लिए छूट दी जा सकती है।
टेरिटोरियल आर्मी ने 2019 से इकोलॉजिकल टास्क फोर्स यूनिट्स, टीए ऑयल सेक्टर यूनिट्स और टीए रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट में महिला अधिकारियों की नियुक्ति शुरू की थी। इस अवधि के दौरान प्राप्त हुए अनुभवों के आधार पर टीए में महिला अधिकारियों के लिए और अधिक नियुक्ति का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।