सिंधु झा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 वर्षों में भारत द्वारा किए गए अंतरिक्ष प्रक्षेपण में भारी उछाल देखा गया है और भारत अब संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे उन देशों के बराबर खड़ा है, जिन्होंने हमसे दशकों पहले अपने अंतरिक्ष प्रोग्राम शुरू किए थे। ये बातें केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कही है। डिजिटल मीडिया से खास भेंट में सिंह ने कहा कि हालांकि भारतीय अंतरिक्ष मिशन बहुत बाद में शुरू हुआ किंतु प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को विशेष बढ़ावा दिया और स्टार्ट-अप्स की बढ़ती संख्या के साथ इसे सार्वजनिक निजी भागीदारी के लिए खोल दिया। आज स्थिति यह है कि अमेरिका की नासा जैसी प्रमुख अंतरिक्ष संस्थाएं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ सहयोग कर रही हैं और हमसे विशेषज्ञों की राय भी ले रही हैं।
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले इसरो कभी-कभी ही प्रक्षेपण करता था परन्तु प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र के दरवाजे खोलने के बाद आज इसरो लगभग 150 निजी स्टार्ट-अप्स के साथ काम कर रहा है। हाल ही में आईएसआरओ ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी – सी37 पर रिकॉर्ड संख्या में 104 उपग्रह प्रक्षेपित किए जिनमें से 101 अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के हैं और यह वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भारत की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है । इसके अतिरिक्त स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए लगभग तैयार है। उन्होंने कहा कि इसके सफल होने पर भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। अन्य तीन देश अमेरिका, रूस और चीन हैं। भारत की स्टार्ट-अप क्रांति के बारे में विस्तार से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले लगभग 350 स्टार्टअप थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2016 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में लाल किले की प्राचीर से आह्वान करने और विशेष स्टार्टअप योजना शुरू करने के बाद 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ स्टार्ट-अप्स की संख्या 90,000 से अधिक हो गई है।
भारत के पास विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट- अप पारिस्थितिकी तन्त्र भी है और वैश्विक नवाचार सूचकांक 2022 में 81वें से 40वें स्थान पर पहुंच गया है। इसी तरह 2014 से पहले, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था का मूल्य 10 अरब (बिलियन) डॉलर था। अब यह 80 अरब डॉलर से अधिक है। मंत्री ने कहा कि जैवप्रौद्योगिकी (बायोटेक) स्टार्ट-अप्स 2014 में कुल 52 से बढ़कर 2022 में 5300 से अधिक हो गए।