ब्लिट्ज ब्यूरो
अयोध्या। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली भगवान राम की मूर्ति का निर्माण शुरू हो गया है। जनवरी 2024 में मकर संक्रांति पर गर्भगृह में इसकी स्थापना होगी। भक्तों को मूर्ति के 35 फीट दूर से दर्शन हो सकेंगे। रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें गर्भगृह में रामलला के ललाट को छुएंगी। इसके लिए खगोलशास्त्र और भौतिकी विज्ञान के विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है।
मूर्ति को भव्य और मोहक बनाने के लिए बड़े-बड़े मूर्तिकारों की टीमें अयोध्या पहुंच रही हैं। कर्नाटक के शिल्पकार गणेश एल. भट्ट और राजस्थान के शिल्पकार सत्यनारायण पांडेय की टीमें अयोध्या आ चुकी हैं। पद्मविभूषण सुदर्शन साहू और मैसुरु के अरुण योगीराज की टीमें आनी बाकी हैं।
संतों, विद्वानों, शिल्पकारों और चित्रकारों से लंबी चर्चा के बाद तय हुआ है कि बालस्वरूप (5 वर्ष) का जैसा वर्णन वाल्मीकि जी ने किया है, उसी आधार पर मूर्ति बनेगी। हालांकि मूर्ति को आकार देते समय कुछ बदलाव भी किए जा सकते हैं।
– जनवरी में गर्भगृह में स्थापना, 35 फीट दूर से होंगे दर्शन
साढ़े आठ फीट ऊंची होगी मूर्ति
रामलला की प्रतिमा आसमानी और ग्रे कलर के पत्थरों से तैयार होगी, जो देखने में काफी खूबसूरत लगेगी। मूर्ति के प्रारूप के तौर पर 9 इंच से 12 इंच तक के मॉडल बनाए जाएंगे। राम भक्तों को अपने आराध्य के दर्शन लगभग 30 से 35 फीट की दूरी से होंगे। प्रतिमा इतनी बड़ी होगी कि श्रद्धालु भगवान की आंख और भगवान के चरण अपनी आंखों से देख सकेंगे। राम मंदिर के गर्भगृह के एक हिस्से में चौखट और 20 फीट ऊंची दीवारें बन रही हैं। ये मकराना के सफेद संगमरमर से बनाई जा रही हैं। राम मंदिर को जोड़ने वाली तीन सड़कों पर भी कार्य तेजी से चल रहा है।