डॉ. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन 20 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पास हो गया। पर्ची से हुई वोटिंग में बिल के समर्थन में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े। राज्यसभा से पास होने के बाद बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा और उनकी स्वीकृति मिलने के बाद कानून बन जाएगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जनगणना एवं सीटों के परिसीमन के बाद आरक्षण की व्यवस्था 2029 तक लागू हो पाएगी। बिल पर चर्चा में 60 सांसदों ने अपने विचार रखे। बिल पर डिबेट का जवाब देने अमित शाह आए। उन्होंने कहा- महिला आरक्षण बिल युग बदलने वाला विधेयक है। 19 सितंबर का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा। नए सदन का पहली बार श्री गणेश हुआ, उस दिन गणेश चतुर्थी थी और पहली बार कई सालों से लंबित पड़े बिल को पास किया गया। अब लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्िचत हो जाएगा। पीएम मोदी को देश की जनता ने सीएम के बाद प्रधानमंत्री बनाया। 30 साल बाद उनके नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की भाजपा की सरकार बनाई। पीएम मोदी ने सीएम के पद से इस्तीफा दिया। तब पीएम मोदी के एकाउंट में जितना भी पैसा था, उन्होंने वर्ग 3 के कर्मचारियों और बेटियों के खाते में भेज दिया था। आज दुनियाभर में विमान उड़ाने वाली महिलाओं की संख्या 5 प्रतिशत है। भारत में इन महिलाओं की संख्या 15 प्रतिशत है। यही महिला सशक्तिकरण है।
– बिल पर डिबेट का जवाब देने गृहमंत्री अमित शाह आए
गृहमंत्री अमित शाह बोले- पहली बार ये संविधान संशोधन नहीं आया। देवेगौड़ा से लेकर मनमोहन तक चार बार प्रयास हुए। क्या मंशा अधूरी थी? सबसे पहले इस पर प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के समय 12 सितंबर 1996 में संविधान संशोधन आया। कांग्रेस उस समय विपक्ष में थी। विधेयक को सदन में रखने के बाद गीता मुखर्जी की अध्यक्षता में समिति को दे दिया गया, लेकिन विधेयक सदन तक पहुंच ही नहीं पाया। जब 11वीं लोकसभा आई तो विधेयक लैप्स हो गया। इसके बाद 12वीं में लोकसभा अटल बिहारी वाजपेयी के समय बिल आया, लेकिन ये विलोपित हो गया। 13वीं लोकसभा में अटल जी के समय फिर बिल आया, लेकिन अनुच्छेद 107 के तहत बिल विलोपित हो गया। इसके बाद मनमोहन सिंह बिल लेकर आए, लेकिन बिल विलोपित हो गया। शाह ने कहा कि कोई पुराना बिल जीवित नहीं है। लोकसभा जब विघटित हो जाती है तो लंबित विधेयक विलोपित हो जाते हैं। शाह से पहले राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल के समर्थन के साथ अपने विचार रखे।