सिंधु झा
देश में बुनियादी संरचना के क्षेत्र में क्रांति लाने को लेकर भारत सरकार ने जिस महत्वाकांक्षी यात्रा की शुरुआत की, उसकी चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। अगर केंद्र की मोदी सरकार के दस वर्ष के सफर पर गौर करें तो जाहिर है कि इसका लक्ष्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, कनेक्टिविटी का विस्तार करने के साथ ही आम लोगों की जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना रहा है।
परिवहन नेटवर्क
परिवहन नेटवर्क को आधुनिक बनाने, शहरी सुविधाओं को विकसित करने और डिजिटल बुनियादी ढांचे के विस्तार पर ध्यान देने के साथ सरकार ने कई परिवर्तनकारी योजनाएं शुरू की हैं। सरकार ने राजमार्गों, रेलवे एवं हवाई अड्डों के विकास से लेकर जलमार्ग और रोपवे सिस्टम को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। इन प्रयासों का उद्देश्य पूरे देश में समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देना है।
परिवर्तनकारी परियोजनाएं
भारत ने बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इनमें दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग अटल सुरंग की शुरुआत करना है। दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज का निर्माण शामिल है। इसके अलावा भारत ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण करके रिकॉर्ड कायम किया है। वहीं, लद्दाख में हर मौसम में कनेक्टिविटी के लिए एशिया की सबसे लंबी जोजिला सुरंग जैसी परिवर्तनकारी परियोजनाएं शुरू की हैं। इसके अलावा, मुंबई में अटल सेतु की स्थापत्य उत्कृष्टता, ब्रह्मपुत्र पर बोगीबील पुल, जायसवाल पुल और पूर्वोत्तर में ढोला-सादिया पुल से नए भारत में बुनियादी ढांचे का परिदृश्य अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छू रहा है।
सड़क मार्गों पर क्रांतिकारी बदलाव
अगर सड़क मार्गों पर नजर डाली जाये तो इसमें क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए देश के परिवहन के ढांचे में व्यापक बदलाव किए गए। इनमें आधुनिकीकरण, विस्तार और कनेक्टिविटी शामिल हैं। रणनीतिक रूप से योजना बनाकर और पर्याप्त निवेश के माध्यम से भारत अपने सड़क नेटवर्क को मजबूत और प्रभावशाली सिस्टम में बदल रहा है।
पिछले 10 वर्षों के दौरान देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की प्रगति काफी उल्लेखनीय है, जो बजट आवंटन और निर्माण गति में वृद्धि को दर्शाती है। 2014 के बाद से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग बजट आवंटन में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे बुनियादी ढांचागत विकास में पर्याप्त बढ़ोतरी हुई है।
2020-21 में राजमार्ग निर्माण की गति 37 किमी/प्रतिदिन तक पहुंच गई, जो देश में सबसे तेज राजमार्ग निर्माण का रिकॉर्ड है। इसके अलावा 2014 में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) का नेटवर्क 91,287 किलोमीटर था, जो वर्ष 2023 तक 60 प्रतिशत बढ़कर 1,46,145 किलोमीटर हो गया। चार-लेन एनएच की लंबाई 2.5 गुना बढ़ गई है। 2014 में यह 18,387 किलोमीटर था, जो नवंबर 2023 तक बढ़कर 46,179 किलोमीटर हो गया है। एनएच निर्माण की औसत गति में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो 2014 में बेसलाइन 12.1 किलोमीटर/प्रतिदिन से 143 प्रतिशत बढ़कर 28.3 किलोमीटर/प्रतिदिन हो गई है।
पीएमजीएसवाई
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत 2014 से अब तक 3.74 लाख किमी लंबी सड़कों के निर्माण के साथ भारत ने ग्रामीण सड़क बुनियादी ढांचागत विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके परिणामस्वरूप 99 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण इलाकों को सड़कों से जोड़ा गया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच और संपर्क स्थापित करने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 2013-14 में 3.81 लाख किमी की तुलना में अब तक 7.55 लाख किमी ग्रामीण सड़कें बनकर तैयार हो चुकी हैं।
भारतमाला परियोजना
भारतमाला परियोजना को मुख्य रूप से देश भर में सामान और लोगों की आवाजाही की सुगमता को उपयुक्त बनाने पर ध्यान देने के साथ शुरू किया गया था। इस परियोजना के प्रमुख घटकों में आर्थिक गलियारा विकास, इंटर-कॉरिडोर और फीडर मार्ग विकास, राष्ट्रीय गलियारा दक्षता सुधार, सीमा और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क सड़कें, तटीय एवं बंदरगाह संपर्क सड़कें और एक्सप्रेस-वे शामिल हैं। परियोजना के तहत विकास के लिए 25 ग्रीनफील्ड हाई- स्पीड कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई गई है।
भारतीय रेलों का आधुनिकीकरण
इसी तरह भारतीय रेलों के विकास, आधुनिकीकरण और बेहतर कनेक्टिविटी की दिशा में ठोस कदम उठाये गए हैं। वंदे भारत ट्रेनें भारतीय रेलवे के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करती हैं। 31 जनवरी 2024 तक भारतीय रेलवे में 100 से अधिक वंदे भारत ट्रेनों की सेवाएं शुरू की गईं। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान वंदे भारत ट्रेनों की कुल सवारियों की दर 96.62 प्रतिशत रही। इस साल प्रधानमंत्री ने 10 नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि राज्यों को न सिर्फ ज्यादातर वंदे भारत ट्रेनें मिल गई हैं बल्कि वंदे भारत ट्रेनों ने शतक के आंकड़े को भी छू लिया है।
रेलवे स्टेशनों के विकास और आधुनिकीकरण के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना शुरू की गई है। भारत की मेट्रो रेल प्रणाली में विस्तार से शहरी आवागमन में क्रांतिकारी बदलाव आ गया है। 2014 में नेटवर्क की लंबाई 248 किमी थी, जो 2024 तक बढ़कर 905 किमी हो जाएगी।
उड़ान योजना
इसी तरह उड़ान योजना की शुरुआत और ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के संचालन के साथ भारत के विमानन परिदृश्य में बदलाव आया है। इस योजना से पूरे देश में कनेक्टिविटी और सुगमता से आवागमन में काफी योगदान मिला है। देश जैसे-जैसे अपने परिवहन नेटवर्क, शहरी सुविधाओं और डिजिटल बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करता है वैसे-वैसे यह स्थायी विकास, जीवन की गुणवत्ता में सुधार और सभी लोगों के लिए बेहतर अवसरों की जमीन तैयार करता है।