आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारत ने न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की पहली फ्लाइट टेस्टिंग की, जो सफल रही। ‘मिशन दिव्यास्त्र’ की इस मिसाइल की जद में सिर्फ चीन और पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि आधी दुनिया आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत विकसित अग्नि -5 मिसाइल के पहले सफल फ्लाइट टेस्ट के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दी हैं।
अग्नि सीरीज की 1 से 5 तक मिसाइलें
भारत के पास अग्नि सीरीज की 1 से 5 तक मिसाइलें हैं। सभी अलग-अलग रेंज की हैं। अग्नि-5 इनमें से सबसे खास है। यह मिसाइल 5 हजार किमी दूर स्थित टारगेट को हिट कर सकती है। इसकी फ्लाइट टेस्टिंग की तैयारी काफी पहले से की जा रही थी हालांकि टेस्टिंग कब होगी, इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। इसके लिए ओडिशा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से 3500 किमी तक का क्षेत्र ‘नो फ्लाई ज़ोन’ घोषित किया गया था।
2008 में काम शुरू हुआ
डीआरडीओ ने 2008 में अग्नि-5 पर काम शुरू किया था। इसे डीआरडीओ के रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई), एडवांस्ड सिस्टम लैबोरेटरी (एएसएल) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी (डीआरडीएल) ने मिलकर इसे तैयार किया। इस प्रोजेक्ट की डायरेक्टर एक महिला हैं। इस पूरे प्रोजक्ट में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।
मिसाइल एक, टार्गेट कई
मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल टेक्नोलॉजी से यह सुनिश्चित होगा कि एक ही मिसाइल अलग-अलग लोकेशन पर टार्गेट को हिट कर सकती है। ‘मिशन दिव्यास्त्र’ की सफल फ्लाइट टेस्टिंग के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास एमआईआरवी टेक्नोलॉजी है।
वैज्ञानिकों पर गर्व
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘मिशन दिव्यास्त्र’ अग्नि-5 के लिए हमारे डीआरडीओ के वैज्ञानिकों पर गर्व है। वैज्ञानिकों की मदद से मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) टेक्नोलॉजी के विकसित अग्नि-5 मिसाइल का पहला फ्लाइट टेस्ट हुआ है।
ऐसी है भारत की पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5
– 29 हजार 401 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार।
– अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है।
– रेंज 5 हजार किलोमीटर।
– अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम। मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल से लैस है। यानी एक साथ कई टारगेट्स के लिए लॉन्च की जा सकती है।
– डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है।
– इसकी स्पीड मैक 24 है, यानी आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा।
– लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।
– इस्तेमाल भी बेहद आसान है, इस वजह से देश में कहीं भी इसकी तैनाती की जा सकती है।
– इसका पहला परीक्षण अप्रैल 2012 में हुआ था।