ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सरकार ने एफडीसी (‘फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन’) की 14 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें खांसी और बुखार की दवाइयां भी शामिल हैं। सरकार ने अधिसूचना में कहा कि ये दवाइयां लेने से जान का खतरा है। बैन की जाने वाली दवाओं में निमेसुलाइड और घुलनशील पेरासिटामोल गोलियों एवं क्लोरोफेनिरामाइन मिलिएट तथा कोडीन सीरप जैसी दवाएं शामिल हैं।
एफडीसी वाली इन दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना में बताया गया कि एफडीसी की 14 दवाओं का कोई चिकित्सीय उपयोग नहीं है। ये दवाएं लोगों के जीवन को जोखिम में डाल सकती हैं। प्रतिबंधित दवाओं में सामान्य संक्रमण, खांसी और बुखार के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली मिश्रित दवाएं शामिल हैं।
सरकार ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद यह कदम उठाया है। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि इन एफडीसी दवाओं का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और इनको लेने से जीवन को खतरा पैदा हो सकता है। औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26 ए के तहत इस एफडीसी के विनिर्माण, बिक्री या वितरण पर रोक लगाना आवश्यक है।
एफडीसी दवाएं : एफडीसी दवाएं वे होती हैं जिन्हें एक निश्चित अनुपात में दो या दो से अधिक सक्रिय औषधीय सामग्री का मिश्रित करके बनाया जाता है।
इन दवाओं पर प्रतिबंध : निमेसुलाइड व पेरासिटामोल की घुलनशील गोलियां, क्लोफेनिरामाइन मिलिएट + कोडीन सीरप, फोलकोडाइन + प्रोमेथाजिन, एमोक्सिसिलिन + ब्रोमहेक्सिन और ब्रोमहेक्सिन + डेक्सट्रोमेथोर्फन + अमोनियम क्लोराइड + मेन्थॉल, पैरासिटामोल + ब्रोमहेक्सिन+ फिनाइलफ्राइन + क्लोरफेनिरामाइन + गुइफेनेसिन और सालबुटामोल + ब्रोमहेक्सिन।