नई दिल्ली। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) बहुत जल्द भारत में बने लेजर हथियार दुर्गा-2 का टेस्ट करने वाला है। दुर्गा का पूरा मतलब है डायरेक्शनली अनरेस्टि्रक्टेड रे-गन एरे। यह एक डायरेक्टेड एनर्जी वेपन है।
लेजर ही भविष्य के हथियार हैं। कई देशों के पास लेजर वेपन हैं। इस समय दुनिया भर में दो एंटी-एयरक्राफ्ट या एंटी-मिसाइल लेजर वेपन हैं, वो फूलप्रूफ नहीं हैं। उनकी मारक क्षमता 100 फीसदी नहीं है। डीआरडीओ ने भी लेजर हथियार बनाना शुरू किया।
दुर्गा-2 की खासियतें
इसके बारे में विदेशी मीडिया में भी खबरें चली थीं कि भारत ऐसा लेजर सिस्टम तैयार कर रहा है, जो किसी बैलिस्टिक, क्रूज मिसाइल या फाइटर जेट को गिरा सकता है। इसका इस्तेमाल चीन और पाकिस्तान सीमा पर किया जाएगा।
चीन या पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइलें भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। भारत ने रूस से पांच एस-400 एंटी-मिसाइल सिस्टम खरीदे हैं। इनका नाम सुदर्शन रखा गया है। ये सिस्टम भारत के इलाके में आने वाली मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर देगा। लेकिन यह हर मिसाइल को मार गिराएगा, इसकी गारंटी यह एयर डिफेंस सिस्टम भी नहीं देता।
लेजर वेपन दुश्मन के जहाज, रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, जेट, मिसाइल को गिरा सकता है। 2021 में अमेरिकी डिफेंस मीडिया ने रिपोर्ट छापी थी कि नई दिल्ली में मौजूद लेजर साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर (एलएसटीसी) नई जेनरेशन का लेजर सिस्टम बना रहा है।
नई तकनीक में सॉलिड स्टेट, फाइबर और केमिकल लेजर का इस्तेमाल किया जा रहा है। कहा जाता है कि लेजर वेपन दुर्गा-2 प्रोजेक्ट बेहद गुप्त रखा गया था। बताया गया था कि इस हथियार को जमीन, समंदर और हवाई प्लेटफॉर्म पर तैनात किया जाएगा। एलएसटीसी ने इस बात की रिपोर्ट की थी कि वो 25 किलोवॉट का लेजर हथियार बनाने में सफल हो गया है जो बैलिस्टिक मिसाइल को टारगेट बना सकता है लेकिन इसकी रेंज 5 किलोमीटर है। लेजर एक्सपर्ट्स ने कहा कि इसकी रेंज बढ़ानी होगी।