ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। असम और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों ने दोनों राज्यों के बीच पांच दशक से भी पुराने सीमा विवाद को खत्म करने के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसके साथ ही दोनों पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा पर स्थित 123 गांवों की समस्या का भी समाधान हो गया। असम और अरुणाचल प्रदेश 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। अरुणाचल प्रदेश को 1972 में केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद चल रहा था। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताया है।
केन्द्रीय मंत्री शाह ने कहा कि ऐसे समय में जब देश स्वतंत्रता का 75वां साल मना रहा है, दोनों राज्यों की अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित 123 गांवों का विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो गया है। शाह ने आशा जताई कि 1972 से जारी इस पुराने सीमा विवाद की समाप्ति पूर्वोत्तर राज्यों में सर्वांगीण विकास और शांति लेकर आएगी।
केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बड़ा क्षण है जो 2014 में नरेंद्र मोदी नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही सर्वांगीण विकास देख रहा है। गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सक्रिय रूप से भाषाओं, साहित्य और पूर्वोत्तर की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं और हाल ही में रिकॉर्ड कायम करने वाली ‘बिहू नृत्य’ की प्रस्तुति इसका ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद पर एक स्थानीय आयोग की रिपोर्ट दशकों से यहां-वहां भटक रही थी, जिसे अब दोनों राज्यों ने स्वीकार कर लिया है।
शाह ने कहा कि 2018 से केंद्र सरकार ने ब्रू आदिवासी, एनएलएफटी और असम के कार्बी आंगलोंग समझौतों, संधियों से पूर्वोत्तर में शांति बहाल की , विकास की बयार बहाई। उन्होंने कहा कि 2014 के मुकाबले अब पूर्वोत्तर में हिंसा की घटनाओं में 67 प्रतिशत कमी आई है, सुरक्षा बलों के कर्मियों की मृत्यु में 60 फीसदी और असैन्य नागरिकों की मौत में 83 फीसदी कमी आई जो बड़ी उपलब्धि है। गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर के कई स्थानों से अफस्पा को हटा लिया है। असम में 70 प्रतिशत, मणिपुर के छह जिलों के 15 पुलिस थानों, अरुणाचल में तीन जिले छोड़कर सभी जिलों, नगालैंड के सात जिलों और त्रिपुरा व मेघालय से पूर्णतया अफस्पा को हटा लिया गया है।