ब्लिट्ज ब्यूरो
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहली बार सोशल मीडिया पर मंदिर निर्माण की विस्तृत जानकारी देश-दुनिया के भक्तों को दी है। मंदिर के स्वरूप से लेकर विशेषताओं से भक्तों को अवगत कराया गया है। उद्घाटन के बाद राममंदिर रोजाना 14 घंटे खुलेगा। डेढ़ लाख भक्त दर्शन कर पाएंगे। 32 सीढ़ियां चढ़कर भक्तों को रामलला के दर्शन प्राप्त होंगे। इससे पहले मंदिर के प्रवेश द्वार पर कदम रखते ही भगवान गणपति व हनुमान जी दर्शन देंगे। मंदिर के सामने गरुड़ जी की मूर्ति लगाई गई है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि आठ दिशाएं, अष्ट भुजाएं और विष्णु के आठ स्वरूपों को ध्यान में रखकर गर्भगृह अष्टकोणीय बनाया गया है। नक्क ाशी भगवान के गुणों का ध्यान रखते हुए की गई है। गर्भगृह इस तरह बनाया गया है कि 25 फीट दूर से भक्त अपने आराध्य की छवि निहार सकेंगे।
आठ दिशाएं, अष्ट भुजाएं और विष्णु के आठ स्वरूपों को समर्पित अष्टकोणीय गर्भगृह
मंदिर में विष्णु के दशावतार, 64 योगिनी, 52 शक्तिपीठ और सूर्य के 12 स्वरूप की मूर्तियां भी उकेरी हैं। हर पिलर में 16-16 मूर्तियां उकेरी गई हैं। मंदिर में ऐसे कुल 250 पिलर हैं।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं
– मंदिर परंपरागत नागर शैली में बना।
– मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट व ऊंचाई 161 फीट।
– मंदिर तीन मंजिला। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार।
– मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) प्रथम तल पर श्रीराम दरबार।
– 5 मंडप नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप।
– खंभों व दीवारों में देवी देवता व देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरीं।
– मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
– दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैंप व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
– मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा। कुल लंबाई 732 मीटर व चौड़ाई 14 फीट।
– परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर।
– मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान।
– मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषि पत्नी देवी अहिल्या का मंदिर होगा।
– दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है, वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
– मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं हुआ। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
– मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।
– मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
– मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था व स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।
– 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।
– मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।
– मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया गया है।