मनोज जैन
नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि हमारे देश में सभी धर्मों काे बराबरी का हक व सम्मान दिया जाता है। भारत उन संस्कृतियों और धर्मों का मिश्रण रहा है, जो सदियों से सद्भाव से रह रही हैं। डोभाल दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
डोभाल ने कहा, देश में धार्मिक समूहों के बीच इस्लाम महत्वपूर्ण गौरव का स्थान रखता है। भारत सभी मसलों के हल के लिए सहनशीलता, बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह लोकतंत्र की जननी होने के साथ ही विविधता की भूमि भी है।
उन्होंने भारत और सऊदी अरब के बीच संबंधों की सराहना करते हुए कहा, ये संबंध साझा सांस्कृतिक विरासत, सामान्य मूल्यों और आर्थिक संबंधों के चलते बने हैं। कार्यक्रम में मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव शेख डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईसा भी शामिल हुए। डोभाल ने उन्हें उदारवादी इस्लाम की ग्लोबल आवाज और विद्वान बताया।
अजीत डोभाल ने कहा, भारत दुनिया में दूसरी और सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी का घर है। भारतीय मुस्लिम आबादी इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य देशों की संयुक्त आबादी के लगभग बराबर है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म और इस्लाम की गहरी आध्यात्मिक सामग्री लोगों को एक साथ लाई है। ये कोई संयोग नहीं है कि लगभग 20 करोड़ मुस्लिम होने के बावजूद वैश्विक आतंकवाद में भारतीय नागरिकों की भागीदारी अविश्वसनीय रूप से कम रही है। आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता। यह तो एक व्यक्ति है जो गुमराह हो जाता है।
एनएसए डोभाल ने कहा कि भारत कई दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है। देश ने 2008 (मुंबई हमले) सहित कई आतंकवादी हमलों का सामना किया है। भारत अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग करने सहित विभिन्न माध्यमों से आतंकवाद से लड़ने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
मुसलमानों को अपनी राष्ट्रीयता पर गर्व
मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव शेख डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-ईसा ने कहा कि भारतीय समाज में मुस्लिमों को अपनी राष्ट्रीयता पर गर्व है कि वे भारतीय नागरिक हैं। हम जानते हैं कि भारतीय ज्ञान ने मानवता के लिए बहुत योगदान दिया है।
मुस्लिमों को सच्चा होने की जरूरत
नई दिल्ली। भारत की यात्रा पर आए मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव शेख मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईसा ने दिल्ली की जामा मस्जिद में नमाज अदा की। इस दौरान अपने खुत्बा (भाषण) में उन्होंने कहा, इस्लाम दोहरी बातें पसंद नहीं करता। उन्होंने कहा, इस्लाम अच्छे चरित्र को बहुत अहमियत देता है। मुस्लिमों को सच्चा होने के साथ हर किसी के प्रति दयालू जरूर होना चाहिए। इस्लाम में अतिवाद के लिए कोई जगह नहीं है। हमें अपने अपने पड़ोसियों का खयाल रखने की जरूरत है।
अल-ईसा ने कहा, ”इस्लाम संपूर्ण मानवता का सम्मान करना सिखाता है। इस्लाम इंसानियत की रक्षा करने में विश्वास रखता है। जो लोग हिंसा का मार्ग अपनाते हैं, उनकी हार होगी। मुस्लिम वर्ल्ड लीग महासचिव अल-ईसा ने अपनी भारत यात्रा के दौरान दुनिया भर में बढ़ते संघर्षो और युद्धों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सभी के बीच शांति और प्रेम का आह्वान किया।
संवाद और बुद्धिमत्ता के माध्यम से युद्धों को हल करने के महत्व पर जोर देते हुए अल-ईसा ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि समस्या को हल करने के लिए हम हमेशा परस्पर समझ और बातचीत का समर्थन करते हैं। उन्होंने आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर कटाक्ष किया।
इस्लामी विद्वान और वैश्विक मामलों में प्रसिद्ध व्यक्ति अल-इसा ने धार्मिक नेताओं से अपील की कि वे हथियार उठाने वाले चरमपंथियों से निपटने के लिए आगे आएं।उन्होंने कहा कि “उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस संबंध में धार्मिक नेताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत की अनेकता में एकता है महान
नई दिल्ली। मुस्लिम वर्ल्ड लीग महासचिव अल ईसा ने अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया। उन्होंने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत विविधता में एकता का एक बड़ा उदाहरण है। भारत अनेकता में एकता का एक महान उदाहरण है और अक्षरधाम की मेरी यात्रा प्रेम, शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए है। अपनी तीन घंटे की यात्रा के दौरान मुस्लिम नेता ने दुनिया में इसके महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करते हुए अक्षरधाम की कला, वास्तुकला, संस्कृति और मूल्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, वह विशेष रूप से वैश्विक शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व से संबंधित मामलों पर चर्चा करने के लिए स्वामी के साथ जुड़ना चाहते थे। अल-ईसा ने 2022 में एक अंतरधार्मिक सम्मेलन के दौरान रियाद में बातचीत को याद करते स्वामी ब्रह्मविहरिदास से दोबारा मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
मुस्लिम वर्ल्ड लीग मक्क ा स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी गैर सरकारी संगठन है जो शांति, सहिष्णुता और प्रेम को बढ़ावा देने वाले उदारवादी मूल्यों को आगे बढ़ाकर इस्लाम के सच्चे संदेश को बढ़ावा देता है। इस एनजीओ को 1962 में इसकी स्थापना से ही सऊदी सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया है। सऊदी फंडिंग के कारण लीग को व्यापक रूप से इस्लामी सिद्धांतों के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता प्राप्त है। सऊदी अरब के आधुनिकीकरण एजेंडे, विजन 2030 के तहत देश ने इस्लाम के उदारवादी रूप को अपनाया है, जिसे मुस्लिम वर्ल्ड लीग सऊदी अरब और दुनिया भर में बढ़ावा देना चाहता है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ इस्लाम का कहना है कि समूह ने सऊदी अरब सरकार के लिए मुखपत्र के रूप में काम किया है।