ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। लखनऊ यूनिवर्सिटी में अयोध्या के इतिहास, भगवान श्रीराम और उनकी वंशावली के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाएगा। विवि प्रशासन ने प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व विभाग को इसी सत्र से इसे कोर्स में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। अयोध्या के इतिहास में अलग-अलग समय में रामनगरी और इसके आस-पास के इलाकों में हुए उत्खनन और इनमें मिले पुरातात्विक अवशेषों के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। अयोध्या के इतिहास को बीए (एनईपी) के चौथे सेमेस्टर के आठवें पेपर फील्ड आर्कियॉलोजी की चौथी यूनिट में शामिल किया गया है।
विभाग के हेड प्रो. पीयूष भार्गव ने बताया कि अयोध्या यूपी का काफी प्राचीन नगर है, जिसका उल्लेख रामायण, महाभारत और पुराणों में मिलता है। पुराणों के अनुसार इस नगर को राजा मनु ने बसाया था। इसके बाद इक्ष्वाकु, दशरथ और भगवान श्रीराम ने यहां शासन किया। प्रो. भार्गव का कहना है कि अयोध्या के राजाओं के इतिहास के साथ इस नगरी के महत्व और प्रासंगिकता को भी कोर्स में शामिल किया गया है। इसके अलावा अलग-अलग समय में यहां हुए उत्खनन में अलग-अलग कालों से संबंधित मृदभांड, मृदमूर्तियों, पाषाण मूर्तियों, अभिलेखों, मुहरों, मुद्रा छाप और सिक्क ों के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।
3,000 साल से ज्यादा पुराना है इतिहास
विभाग के शिक्षक डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि समय-समय हुए उत्खनन की रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या का इतिहास तीन हजार साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। कोर्स में अलेक्जेंडर कनिंघम (फादर ऑफ इंडियन आर्कियॉलोजी) द्वारा 1862-63 के आसपास करवाए गए सर्वे को भी शामिल किया गया है। 1889-91 के दौरान ए. फ्यूहरर ने भी अयोध्या का सर्वे किया था। इसके अलावा अन्य सर्वे और उत्खनन में सामने आए तथ्यों, अयोध्या के तमाम नामों और चीनी यात्री फाह्यान इसे शा-ची के नाम से क्यों पुकारते थे, इसके बारे में भी पढ़ाया जाएगा। विभागाध्यक्ष प्रो पीयूष भार्गव ने कहा, छात्र अयोध्या के बारे में विस्तार से जान सकें, इसलिए इसके इतिहास को कोर्स में शामिल किया गया है। इसी सत्र से इसकी पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी।
एएसआई के सर्वे को भी शामिल किया
कोर्स में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से साल 2002-03 में किए गए पुरातात्विक उत्खनन को भी शामिल किया गया है। इसमें अभिलेख, मुहरे, विग्रह और सिक्के आदि मिले थे।
इस उत्खनन और इसमें मिले पुरातात्विक अवशेषों ने राममंदिर के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा अयोध्या से जुड़े अन्य प्राचीन स्थल भीमबेटका, कालीबंगा और हस्तिनापुर की पुरातात्विक खोदाई को भी कोर्स में शामिल किया गया है।