ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश में छोटे मगर घातक ड्रोन के निर्माण को लेकर बड़ी सफलता मिली है। ऐसा आर्म्स ड्रोन तैयार किया गया है, जो छोटी मिसाइल से हमला करके चंद पलों में दुश्मन के टैंक को नष्ट कर देगा। वैसे तो हथियारयुक्त ड्रोन के निर्माण में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भी जुटा है लेकिन इस आर्म्स ड्रोन का निर्माण सेना के मेक-2 प्रोजेक्ट के तहत एक निजी कंपनी द्वारा किया गया।
सेना के सूत्रों के अनुसार देश में 30-40 कंपनियां सेना के साथ मिलकर ड्रोन निर्माण में जुटी हैं। ये सेना की जरूरतों के अनुरूप अलग-अलग किस्म के ड्रोन बना रही हैं। इसी कड़ी में एक निर्माता ने आर्म्स ड्रोन बनाने में सफलता हासिल की है। इसे छोटे आकार की 10-12 किग्रा वजन तक की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस किया जा सकता है। यह 15-20 किलोमीटर दूर तक जाकर मिसाइल हमला कर सकता है। आरंभिक परीक्षण में यह सफल रहा।
आर्म्स ड्रोन के निर्माण में सफलता मिलने की पुष्टि खुद सेना के तत्कालीन उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने की। उन्होंने पिछले दिनों संसद की एक समिति के समक्ष यह जानकारी साझा की। उन्होंने कहा, हमने ड्रोन को हथियारबंद बनाने के लिए कार्यक्रम चालू किया, जिसमें कुछ समय पहले बड़ी सफलता मिली। हम ऐसा ड्रोन बना चुके हैं, जो 15-20 किमी दूर जाकर मिसाइल से हमला कर टैंक को नष्ट करने में समक्ष है।
– 15-20 किमी दूर तक हमला करने में सक्षम, आरंभिक परीक्षण में सफल रहा
सेना के सूत्रों ने कहा कि भविष्य की युद्ध की चुनौतियों से निपटने के लिए छोटे और मध्यम आकार के घातक ड्रोन को प्राथमिकता पर रखा गया है। इससे लागत कम होती है और मारक क्षमता बढ़ती है। पहले चरण में करीब 500 हथियारयुक्त ड्रोन खरीदे जा सकते हैं। हालांकि अभी इस ड्रोन को देश की विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में सेना की देखरेख में कई और परीक्षणों से गुजरना होगा।
कैसे हमला करेगा : ड्रोन के जरिए एकत्र की जाने वाली सूचनाएं सीधे ग्राउंड स्टेशन को मिलती हैं। इसके बाद ग्राउंड स्टेशन पर स्थित कंट्रोल रूम के जरिए लक्ष्य को चिह्नित कर कमांड देकर मिसाइल से हमला किया जाता है और ड्रोन को वापस बुला लिया जाता है।
अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन जैसा : सूत्रों के अनुसार यह ड्रोन अमेरिका के प्रीडेटर आर्म्स ड्रोन एमक्यू-9 की तर्ज पर तैयार किया गया है। प्रीडेटर ड्रोन का आकार और क्षमताएं काफी बड़ी हैं जबकि यह उसी तर्ज पर बना छोटा ड्रोन है। इसका वजन 35-40 किलोग्राम के आसपास रहने की संभावना है।
प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की तैयारी : इस बीच रक्षा मंत्रालय तीनों सेनाओं के लिए अमेरिका से 30 प्रीडेटार ड्रोन खरीदने की तैयारी में जुटा है। तीनों सेनाओं को 10-10 प्रीडेटर ड्रोन प्रदान किए जाएंगे। ये वही ड्रोन हैं, जिनका इस्तेमाल अमेरिका ने अल जवाहिरी जैसे दुश्मन का सफाया करने में किया।
मेक-2 प्रोजेक्ट : सेना की तरफ से मेक-2 प्रोजेक्ट के तहत निजी क्षेत्र को छोटे घातक ड्रोन निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा। स्टार्टअप को इसके लिए ग्रांट भी प्रदान की जा रही है। इससे पूर्व मेक-1 प्रोजेक्ट के तहत तीन किस्म के ड्रोन तैयार हुए हैं, जिन्हें ‘हाई अल्टीट्यूड, ‘मीडियम अल्टीट्यूड और ‘लो अल्टीट्यूड ड्रोन के रूप में परिभाषित किया गया।