ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो की भूमिका और कार्य प्रणाली को राष्ट्रीय आकार देने के मकसद से केंद्र सरकार अलग कानून बनाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय इस बारे में गृह मंत्रालय के साथ नजदीकी सहयोग से काम करेगा। अलग कानून बनने से सीबीआई की राज्य सरकारों से सहमति लेने की जरूरत खत्म हो जाएगी।
अभी तक सीबीआई दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत काम कर रही है। इस कानून की सीमाओं पर विचार-विमर्श के बाद संसद की स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि सीबीआई के लिए अलग से कानून बने।
समिति ने कहा कि मौजूदा कानून में एजेंसी का दायरा सीमित है। नया कानून ऐसा हो, जिसमें सीबीआई का दर्जा, कामकाज, अधिकार तय हों और निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के प्रावधान हों। यही सिफारिश केंद्र सरकार के लिए इस मुद्दे पर आगे बढ़ने का ठोस आधार बनी।
सूत्रों ने कहा कि नया कानून संघीय स्तर का होगा। अभी तक संवैधानिक अदालतों जैसे सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के निर्देश हों तो राज्य सरकारों की सहमति की जरूरत नहीं पड़ती। इससे इतर मामलों में केंद्र सरकार को सीबीआई की जांच का दायरा बढ़ाना पड़ता है और जांच एजेंसी राज्य सरकार से अनुमति लेकर केस दर्ज करती है।
राज्य सरकारों ने अपने अपने हिसाब से सहमति देने के प्रावधान बनाए हुए हैं, जिसे जनरल कंसेंट कहते हैं। कुछ राज्य सरकारों ने इस तरह की जनरल कंसेंट के बजाए विशिष्ट अनुमति की व्यवस्था की है। ऐसे में हर मामले में राज्य सरकार से मंजूरी चाहिए। अभी सीबीआई की जांच का दायरा सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश या रेलवे के एरिया तक सीमित है।