ब्लिट्ज विशेष
नई दिल्ली। सर्दियों के मौसम में मच्छर निष्कि्रय हो जाते हैं और लोगों को मच्छरों के प्रकोप से राहत मिलती है लेकिन अब एक नए शोध से पता चला है कि शहरों में तेज रोशनी के कारण होने वाले प्रकाश प्रदूषण के चलते मच्छरों के लिए निष्क्रियता की यह अवधि घट सकती है ।
मच्छरों की निष्कि्रयता में देरी होने का मतलब है कि वे अधिक समय तक लोगों को काटेंगे। अमेरिका की ‘ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी’ में सहायक प्रोफेसर और शोध की वरिष्ठ लेखिका मेगन म्यूती ने कहा, ‘‘यदि मच्छरों की निष्कि्रयता घटती है और वे वर्ष में लंबे समय तक सक्रिय रहते हैं, तो ऐसे समय में मच्छरों के वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित होने की संभावना सबसे अधिक होती है। इसके चलते लोगों के इसकी चपेट में आने का सबसे अधिक खतरा हो सकता है।’’
अध्ययन के तथ्य : हाल में पत्रिका ‘इन्सेक्ट्स’ में प्रकाशित अध्ययन में यह पहली बार सामने आया है कि रात मंं कृत्रिम प्रकाश मच्छरों के व्यवहार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, जिसमें ऐसे प्रभाव भी शामिल हैं, जिनका अनुमान लगाना सरल नहीं है। म्यूती ने कहा ‘‘हम पाते हैं कि रात में एक ही शहरी प्रकाश विभिन्न मौसमी संदर्भों के तहत बहुत अलग प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने लेखक मैथ्यू वॉकॉफ और लिडिया फी के साथ इस विषय पर अध्ययन किया।
मादा मच्छर का व्यवहार : उत्तरी इलाकों में घरों में पाई जाने वाली मादा मच्छर सर्दियों के मौसम में निष्कि्रय नहीं रहती बल्कि वह गुफाओं, पुलियाओं के नीचे या शेड आदि के नीचे जा छिपती हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि सर्दियों के आगमन से पहले, मच्छर पौधों के अमृत जैसे मीठे स्रोतों को वसा में बदल देते हैं। जैसे-जैसे दिन बड़े होते जाते हैं, मादाएं अंडे देने के लिए रक्त भोजन की तलाश शुरू कर देती हैं। ये कुछ संक्रमित पक्षियों को खाने से वेस्ट नाइल विषाणु से संक्रमित हो जाती हैं और बाद में जब वे लोगों, घोड़ों और अन्य स्तनधारियों को काटती हैं तो विषाणु छोड़ती हैं।
रात के समय कृत्रिम रोशनी लगाने से पाया गया कि पोषक तत्वों को संग्रहित करने की मच्छरों की गतिविधियां प्रभावित हुईं जो सर्दियों के तापमान में शरीर को गरम रखने के लिए जरूरी थे। प्रकाश प्रदूषण के संपर्क में आने से पानी में घुलनशील कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम हो गई जो सर्दियों में आवश्यक खाद्य स्रोत हैं । इसे मच्छरों ने लंबे और छोटे दिन दोनों स्थितियों में जमा किया था। कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आने से ग्लाइकोजन के संचय के पैटर्न उलट गए। सामान्य परिस्थितियों में गैर-निष्कि्रय मच्छरों में बहुत अधिक ग्लाइकोजन होता है, सक्रिय मच्छरों में नहीं। प्रकाश प्रदूषण के तहत मच्छरों ने दिन की लंबी अवधि में अधिक ग्लाइकोजन जमा नहीं किया जबकि दूसरे मच्छरों ने ग्लाइकोजन संचय में वृद्धि दिखाई।