विनोद शील
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए कि ‘यही समय है, सही समय है; देश व अपने मंत्रियों को यह मंत्र दिया कि हम 2024 की तरफ नहीं बल्कि 2047 की ओर देखते हुए हर काम करें। हमें 2047 तक भारत को सुपर पावर बनाने के लिए काम करना है।
अगले 25 सालों में यानी कि 2047 तक बहुत कुछ बदल जाएगा। पढ़े-लिखे लोगों की एक नई फौज तैयार हो जाएगी। भारत हर क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी से लैस होगा। पीएम मोदी ने अपनी अध्यक्षता में विगत दिनों हुई मंत्रिपरिषद की एक बैठक ये संकल्प व्यक्त किए । इसमें पीएम ने अपने मंत्रियों से कहा कि यह चुनावी वर्ष है।
आप सब जमकर मेहनत करें। सरकार के 9 साल के कामकाज को इन 9 महीनों में जनता को बताएं। आप सभी को अपने-अपने मंत्रालय के कामों का जमकर प्रचार-प्रसार करना है। अपने मंत्रालयों की 12 बड़ी उपलब्धियों और योजनाओं का कैलेंडर बना कर उनसे जनता को परिचित कराएं। ऐसा ही कुछ उन्होंने 75वें स्वाधीनता दिवस पर 15 अगस्त 2022 को लालकिले के प्राचीर से देश की जनता और युवा शक्ति का आह्वान करते हुए भी कहा था ‘ हमें तन-मन-धन से इस अमृत काल में ‘नया और आत्मनिर्भर भारत’ बनाना है। इसके लिए हम सभी को पांच प्रण भी करने चाहिए।’
प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि ‘नया और आत्मनिर्भर भारत’ बनाने में प्रौद्योगिकी की विशेष भूमिका होगी। इससे भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल करने में खासी मदद मिलेगी। उनका यह भी कहना है कि भारत बड़े स्तर पर एक आधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि डिजिटल क्रांति का लाभ सभी तक पहुंचे और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से जीवन सुगम बने तथा छोटे-बड़े, सभी व्यवसायों के लिए उन्नति के समान अवसर उपलब्ध हो सकें। यह औद्योगिक विकास का ही फल है कि पिछले 9 वर्षों में देश में स्टार्टअप्स की संख्या 300 गुना बढ़ी है। 2014 से पहले भारत में सिर्फ 350 स्टार्टअप थे।
– 25 साल में भारत होगा हर नई टेक्नोलॉजी से लैस
इनकी संख्या अब बढ़कर 90,000 से अधिक हो गई है। यह सब तब हुआ है जब टेक सेक्टर में फंडिंग की कमी और नई नियुक्तियों में सुस्ती रही है। ऐसा किसी दूसरे देश में देखने को नहीं मिला है। कुछ वर्षों में ही अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। प्रबंधन सलाहकार जि़न्नोव के सहयोग से तैयार नैसकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम लगातार आगे बढ़ रही मालगाड़ी की तरह रहा है। इसके ट्रैक अधिग्रहण तथा खुले निवेश कार्यक्रम से बने हैं जिसे कॉर्पोरेट के सहयोग और सरकार के समर्थन से बिछाया गया है। संस्थापक और निवेशक समान रूप से इसे गति प्रदान कर रहे हैं।
नई तकनीकों का फायदा उठा रहीं कंपनियां
नैसकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष के अनुसार, मौजूदा मंदी के बावजूद, नवोन्मेषी कंपनियों के लिए प्रचुर अवसर हैं जो उभरती हुई तकनीकों का लाभ उठा रही हैं।
25 लाख करोड़ रुपए की यूनिकॉर्न्स
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में भी इस उपलब्धि का जश्न मनाते हुए कहा था कि देश में यूनिकॉर्न की संख्या 100 के आंकड़े तक पहुंच गई है। ज्ञात हो कि एक यूनिकॉर्न कम से कम साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का है। इन यूनिकॉर्न का कुल वैल्यूएशन 330 अरब डॉलर यानी 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है। निश्चित रूप से यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
महिलाएं भी आ रहीं आगे
किसी भी देश का विकास तब तक संभव नहीं है जब तक वहां की महिलाएं उसमें भागीदार न बनें। प्रधानमंत्री ने इसे स्पष्ट किया कि आज भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है। इसके अलावा खास बात यह है कि देश में 18 प्रतिशत स्टार्टअप में कम से कम एक महिला संस्थापक या सह-संस्थापक है और कम से कम 36 मौजूदा या संभावित यूनिकॉर्न में कम से कम एक महिला संस्थापक या सह-संस्थापक है।
भारत के विकास की गाथा में यह तथ्य विशेष उल्लेखनीय है कि महिलाएं भी उद्यम के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इस बीच पीएम मोदी ने तेलंगाना में लगभग 6,100 करोड़ रुपये की कई महत्वपूर्ण अवसंरचना विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखते हुए कहा कि 21वीं सदी के इस तीसरे दशक के हर पल का पूरा इस्तेमाल करना है, ताकि देश का कोई भी कोना तेज विकास की दौड़ में पीछे न छूटे।
वैश्विक चुनौतियों के बीच बेहतर तरीके से वृहद आर्थिक प्रबंधन की वजह से आज भारत अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह निष्कर्ष वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट का है। मई के लिए मासिक आर्थिक समीक्षा और 2023 की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट कहती है कि आपूर्ति-पक्ष अवसंरचना में निवेश ने पिछले कई दशकों की तुलना में अधिक लंबी अवधि के लिए भारत की सतत आर्थिक वृद्धि की संभावना को भी बढ़ा दिया है। विकास की गति को बढ़ाने के लिए इधर दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाएं भारत और अमेरिका समृद्ध, स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा नियमाधारित वैश्विक आर्थिक व्यवस्था बनाने में तेजी से भागीदार बन रही हैं।
आज भारत-अमेरिका संबंध पहले से अधिक घनिष्ठ, व्यापक तथा गतिशील हैं, जो इक्क ीसवीं सदी में वैश्विक व्यवस्था की दिशा तय करेंगे। भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा के साथ 2030 तक दो खरब डालर निर्यात का लक्ष्य निर्धारित है जो विकास की नई गाथा लिखेगा। इस तरह काम करते हुए साल 2047 तक भारत को विकसित और सुपर पॉवर देश बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को तेजी से बढ़ाने का खाका भी तैयार है जिसे इकॉनमी के लिए प्रेरक शक्ति माना जाता है। पीएम मानते हैं कि देश का बजट इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को नई ऊर्जा प्रदान करता है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत बढ़ोतरी करते हुए इसे 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। भारत इस रास्ते पर चलकर वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य हासिल कर लेगा जिसके लिए सभी राज्यों, केंद्र व देशवासियों को मिलकर काम करना है।
रायपुर। रायपुर में पीएम नरेंद्र मोदी ने विजय संकल्प रैली में विपक्षी एकता पर वार किया। उन्होंने कहा कि जिनके दामन दागदार हैं वे आज एक साथ आने की कोशिश कर रहे हैं। जो एक-दूसरे को पानी पी-पीकर कोसते थे, वे आज साथ आने के बहाने खोजने लगे हैं। उनको लगता है कि ऐसा करने से वे मोदी को डरा पाएंगे, मोदी को डिगा पाएंगे। उन्होंने कहा कि जो डर गया वो मोदी नहीं हो सकता।