ब्लिट्ज ब्यूरो
देवरिया। देवरिया के महेश मणि 2 नवंबर 1990 की तारीख कभी नहीं भूल पाएंगे। विश्व हिंदू परिषद नेता अशोक सिंघल के आह्वान पर महेश कई रामभक्तों के साथ कारसेवा करने अयोध्या गए थे। जहां शांतिपूर्वक रामधुन गा रहे निहत्थे कारसेवकों पर तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार ने अंधाधुंध गोलियां चलवाई थीं। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से कारसेवक जहां खुश है, वहीं उन्हें निमंत्रण पत्र न मिलने का मलाल भी है।
महेश मणि ने बताया कि विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल ने 30 नवंबर 1990 को अयोध्या में कारसेवा करने का एलान किया था। जिले से 165 रामभक्तों का जत्था अयोध्या जाने के लिए 24 नवंबर को पैदल ही लिए रवाना हुआ।
महेश ने बताया कि हम सभी लोग यहां से रात को निकले। पुलिस को चकमा देने के लिए हम लोग किसान और व्यापारी के भेष में छोटे-छोटे टुकड़ों में यात्रा करने लगे। जहां लोग थक जाते, वहीं किसी गांव में विश्राम करते थे। गांव के लोग कारसेवकों की खूब सेवा करते थे।
घायल हो गए थे अशोक सिंघल
6 दिन की पैदल यात्रा के बाद 30 अक्टूबर को हम लोग अयोध्या पहुंचे। सुबह 9 बजे के लगभग वहां कारसेवकों की अपार भीड़ जुट गई। अशोक सिंघल के नेतृत्व में हम लोग जय श्री राम का नारा लगाते हुए आगे बढ़ने लगे। अयोध्या के हनुमान तिराहे के पास पुलिसवालों से सामना हो गया। पुलिस की लाठी से अशोक सिंघल का सिर फट गया और उनको गंभीर चोटें आई। पुलिसवालों ने निहत्थे कर सेवकों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था।
महेश ने बताया कि अशोक सिंघल के घायल होने के बाद उमा भारती ने कमान संभाली। 2 नवंबर को हम सभी उमा भारती के नेतृत्व में कार सेवा के लिए आगे बढ़ने लगे। रास्ते में हनुमान गढ़ी पर पुलिस ने कार सेवकों को रोकने के लिए पहले लाठी चार्ज किया। इसके बाद गोलियां चलानी शुरू कर दी। कटरा पुल, कनक भवन समेत सभी चौराहों पर पुलिसवाले कारसेवकों को घेर कर गोली चलाने लगे। देवरिया के चंद्रशेखर को पैर में गोली लगी थी। महेश के मुताबिक लगभग 100 कार्यकर्ताओं ने उनके सामने पुलिस की गोली से घायल होकर दम तोड़ा था।
एक घायल कार सेवक को उठाते वक्त पुलिस की गोली महेश के जबड़े में भी लगी। महेश बेहोश हो गए और होश आया तो अपने आप को अयोध्या के श्रीराम अस्पताल में पाया। पूरा अस्पताल पुलिस की गोली से घायल राम भक्तों से भरा पड़ा था। महेश ने बताया कि प्रशासन ने हमें भी मृत मान लिया था और मृतकों की सूची में हमारा भी नाम था। महेश मणि ने बताया 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हम सभी की जीत है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी जी को विशेष बधाई। मगर इस बात का मलाल भी है कि सरकार उन रामभक्तों को भूल गई जिन्होंने कार सेवा के दौरान अपने को बलिदान कर दिया। हमें भी निमंत्रण मिलना चाहिए था।