विनोद शील
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के भव्य एवं विराट श्रीराम मंदिर में श्री रामलला की दिव्य तथा मनोहर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद समारोह में आए अतिथियों को संबोधित किया। इस बार पीएम मोदी ने ‘जय श्रीराम’ के बजाय ‘सियावर रामचंद्र की जय’ के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि आज हमारे राम आ गए हैं। पीएम मोदी ने प्रभु श्री राम को सिर्फ मंदिर या अयोध्या तक सीमित नहीं रखा बल्िक उन्हें राष्ट्र के साथ जोड़कर यह संदेश दिया कि प्रभु राम का यह मंदिर मात्र एक दैव मंदिर नहीं है, यह भारत की दृष्टि का, दर्शन का, दिग्दर्शन का मंदिर है। यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना है क्योंकि राम व्यापक हैं, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं और इसी भाव को मन रख कर भारत भव्य बनेगा।
पीएम बाेले, सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं। इस शुभ घड़ी की आप सभी को, समस्त देशवासियों को बधाई। मैं गर्भगृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके सामने उपस्थित हुआ हूं। हमारे श्री रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे, वह अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। आज दिन-दिशाएं, दिग-दिगंत, सब दिव्यता से परिपूर्ण हैं। निश्चित ही संपूर्ण भारतवर्ष के लिए 22 जनवरी 2024 का सूर्य अद्भुत आभा लेकर आया है। यह कैलेंडर पर लिखी तारीख नहीं, यह एक नए कालचक्र का उद्गम है।
न्यायपालिका ने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना
आगंतुक भक्तों को संबोधन के समय पीएम मोदी इतने भावुक हो गए कि उनका कंठ अवरूद्ध हो रहा था। उन्होंने कहा कि मेरा पक्क ा विश्वास है, अपार श्रद्धा है, जो घटित हुआ है, इसकी अनुभूति देश और विश्व के कोने-कोने में राम भक्तों को हो रही होगी। यह क्षण अलौकिक है। यह पल पवित्रतम है। यह माहौल, वातावरण, यह घड़ी, प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है। राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद से प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। अयोध्या में हो रहे बदलाव और निर्माण कार्य देख देशवासियों में हर दिन नया विश्वास पैदा हो रहा है। आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है। आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है।
गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा होने वाला राष्ट्र ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी आज की इस तारीख और पल की चर्चा दुनिया करेगी। ये समय सामान्य नहीं है, यह काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रही अमिट स्मृति रेखाएं हैं। पीएम ने कहा, हम सब जानते हैं कि जहां राम का काज होता है, वहां पवन पुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं। वह रामभक्त हनुमान और हनुमान गढ़ी, माता जानकी, अयोध्या पुरी और सरयू को भी प्रणाम करते हैं।
पीएम मोदी ने प्रभु राम से मांगी क्षमा
पीएम मोदी ने उन दिव्य आत्माओं का भी स्मरण और नमन किया जिनके त्याग और बलिदान से यह पुण्य कार्य संपन्न हुआ। वह बोले, मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए। आज वो कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे। लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया। त्रेता युग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के तो संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना।
कालचक्र फिर बदलेगा
पीएम मोदी के आह्वान के बाद प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन की शाम देश और दुनिया के तमाम रामभक्तों ने घर-घर राम ज्योति प्रज्वलित की। पीएम ने कहा कि वह श्रीराम के आशीर्वाद से राम सेतु के आरंभ बिंदु पर भी दर्शन करने गए थे। जिस घड़ी प्रभु श्रीराम समुद्र पार करने निकले थे, वह पल था, जिसने कालचक्र बदला था। अब कालचक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि अपने 11 दिन के व्रत अनुष्ठान के दौरान उन स्थानों का चरण स्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु श्रीराम के चरण पड़े थे। चाहे नासिक हो, केरल हो, रामेश्वरम हो या फिर धनुषकोडी, मेरा सौभाग्य है कि सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला और सागर से सरयू तक रामनाम का वही उत्सव छाया हुआ नजर आया। प्रभु राम तो भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं जिससे एकत्व की अनुभूति होती है। देश को समायोजित करने वाला इससे उत्कृष्ट सूत्र और क्या हो सकता है। राम को परिभाषित करते हुए ऋषिओं ने भी कहा है कि रमंते इति रामः।
राम आग नहीं, ऊर्जा हैं…
राम के नाम से पीएम मोदी ने सभी को यह समझाने का प्रयास किया कि यह क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का भी क्षण है। यह अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है। हमारे देश ने इतिहास की गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता के साथ खोला है, यह बताता है कि हमारा भविष्य, हमारे अतीत से सुंदर होने जा रहा है। वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जानते थे। श्री रामलला के मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव का प्रतीक है। हम देख रहे हैं कि निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। उन्हें अपनी सोच पर पुनर्विचार की जरूरत है। राम आग नहीं हैं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, राम सबके हैं। राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंत हैं।
आज मैं पूरे पवित्र मन से महसूस कर रहा हूं कि कालचक्र बदल रहा है। हमारी पीढ़ी को कालजयी शिल्पकार के रूप में चुना गया है। हजारों वर्ष बाद की पीढ़ी हमें याद करेगी। यही समय है, सही समय है। हमें आज इस पवित्र समय से अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखनी है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर सभी देशवासी समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं। हनुमान जी की भक्ति, उनकी सेवा, समर्पण हम अपनाएं। यही है देव से देश, राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार।
मां शबरी कब से कहती थी- राम आएंगे…
पीएम मोदी ने कहा कि आदिवासी मां शबरी कब से कहती थीं- राम आएंगे। प्रत्येक भारतीय में जन्मा यही विश्वास समर्थ, सक्षम, भव्य भारत का आधार बनेगा। निषाद राज की मित्रता सभी बंधनों से परे है। गिलहरी की तरह देश के विकास में हर छोटे-बड़े का योगदान होता है।
राम भारत की आस्था हैं, आधार हैं
पीएम मोदी ने कहा कि यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था हैं, भारत के आधार हैं। राम भारत का विचार है, विधान हैं। चेतना हैं, चिंतन हैं। प्रतिष्ठा हैं, प्रताप हैं। राम नेकी भी हैं, नीति भी हैं। नित्यता भी हैं, निरंतरता भी। जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो प्रभाव शताब्दियों तक नहीं, हजारों वर्ष तक होता है।
राम काज से राष्ट्र काज
प्रत्येक भारतीय में भक्ति, सेवा के भाव आधार बनेंगे। यही है देव से देश, राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार। यही भावना समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत का आधार बनेगी। हम संकल्प लें कि राम काज से राष्ट्र काज करेंगे।