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विकास, विरासत और संस्कृति का प्रतीक अयोध्या

by Blitzindiamedia
January 19, 2024
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Ayodhya, symbol of development, heritage and culture

एक समय था जब अयोध्या जाने के नाम से भाजपा को छोड़ कर अन्य कुछ पार्टियों के नेता जहां बचते थे, वहीं आमजन भी तमाम आशंकाओं के चलते वहां जाने से परहेज करते थे। अब अगर वर्तमान समय की बात करें तो नयाघाट से राम मंदिर के नए प्रवेश द्वार तक श्रद्धालुओं का जत्था ही जत्था दिखाई देता है। सरयू का तट हो या अयोध्या के रास्ते, हर जगह नयापन है, किनारे की दीवारों पर की गई चित्रकारी और भित्तिचित्रों की छटा राम की नगरी को और भव्य बना रहे हैं।

इस सबकी सिर्फ एक ही वजह है; और वह है अयोध्या में बनाया जा रहा श्रीरामलला का भव्य मंदिर, जिसकी तस्वीर हर कोई अपनी आंखों में भर लेने को आतुर नजर आता है। ज्ञात हो कि 22 जनवरी को यहीं पर श्रीरामलला की सुंदर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है जिसके लिए एक भव्य समारोह का आयोजन भी किया जा रहा है। इस आयोजन में देश एवं दुनिया की जानी-मानी हस्तियां भाग ले रही हैं। हालांकि फिलहाल प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं है।

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हाल यह है कि रामलला की छटा निहारने को अब हर कोई बेताब है। प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि नजदीक आने के साथ-साथ विकास कार्यों की गति भी तेज होती जा रही है और इसी के साथ-साथ श्रद्धालुओं की भीड़ भी बढ़ती जा रही है। राम की नगरी के निवासी उत्साह से सराबोर नजर आते हैं। मूल निवासियों का उल्लास तो हिलोरें लेता सा प्रतीत होता है।अयोध्यावासियों का कहना है कि सरकार तो अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा रही है। अब उनका दायित्व है कि वह अयोध्या को साफ-सुथरा रखें एवं उसका गौरव प्रदान करें। समाज के लिए सद्भाव तथा भाईचारे की मिसाल बनें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विगत दिनों यहां करीब 15,700 करोड़ रुपये से अधिक की केंद्र व राज्य सरकार की 46 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इससे अयोध्या में आधुनिक एवं विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास, कनेक्टिविटी में सुधार होगा और शहर के समृद्ध इतिहास व विरासत के अनुरूप नागरिक सुविधाओं को पुनर्जीवित करना आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि अब अयोध्या के गौरव को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का उत्तरदायित्व भी अयोध्यावासियों पर है। हम सिर्फ दर्शनार्थी या श्रद्धालु बनकर न रह जाएं। अयोध्या हमसे दायित्वों की भी अपेक्षा करती है। हमें श्रद्धा संग बाकी जीवों के प्रति सद्भाव व सामंजस्य की समझ भी विकसित करनी होगी। पीएम ने अयोध्यावासियों से वादा भी लिया कि वे अपने शहर को स्वच्छ रखेंगे। उन्होंने इकोनॉमी के लिहाज से भविष्य का खाका भी खींचा। पीएम मोदी ने कहा कि हम आजादी के अमृतकाल के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं ताकि जब हम आजादी के सौ साल पूरे करें तो हमारा देश विकसित और आत्मनिर्भर भारत कहलाए। निश्चित रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े ये काम आधुनिक अयोध्या को देश और दुनिया के नक्शे पर फिर से गौरव के साथ स्थापित करेंगे। दुनिया में कोई भी देश हो, अगर उसे विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचना है, तो उसे अपनी विरासत को संभालना ही होगा। वस्तुत: आज अयोध्या में ‘विकास की सरयू’ निर्बाध गति से बह रही है। चौड़ी और कई लेन की सड़कें राम नगरी की शोभा बढ़ा रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अयोध्या में पुनर्विकिसित अत्याधुनिक अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन और इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्धाटन किया है जिसका नाम भारतीय संस्कृति के प्रतीक महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया है। श्रीरामलला का मंदिर अयोध्या में आर्थिक प्रगति की नई कहानी लिख रहा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के बाद रामनगरी देश ही नहीं, दुनिया के लिए भी सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का नया मॉडल बनेगी।

अयोध्या हमसे दायित्वों की भी अपेक्षा करती है। हमें श्रद्धा संग बाकी जीवों के प्रति सद्भाव व सामंजस्य की समझ भी विकसित करनी होगी।

पीएम मोदी ने कहा कि हम आजादी के अमृतकाल के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं ताकि जब हम आजादी के सौ साल पूरे करें तो हमारा देश विकसित और आत्मनिर्भर भारत कहलाए।

पर्यटन विभाग का अनुमान है कि प्राण प्रतिष्ठा के दो से तीन सालों में यहां रोजाना तीन लाख पर्यटक व श्रद्धालु पहुंचेंगे। इस हिसाब से इस दौरान लगभग 20 करोड़ पर्यटकों के यहां पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। बीएचयू से संबद्ध एक कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर व उनकी टीम ने पर्यटन विभाग के आंकड़ों के आधार पर एक आर्थिक मॉडल तैयार किया है।

उसके हिसाब से हर पर्यटक औसतन तीन हजार रुपये खर्च करता है। यानी 20 करोड़ पर्यटक कुल मिलाकर छह लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे। यह रकम भारतीय रेलवे के 2022-23 के वार्षिक बजट से आठ गुना अधिक (73,671 करोड़ रुपये) और मनरेगा को 5 साल से अधिक समय तक वित्तपोषित करने के लिए पर्याप्त है। लगभग 90 प्रतिशत लोगों ने दोबारा अयोध्या आने की बात कही है।

दिसंबर 2023 में शोध छात्रों की टीम ने तीन सौ से अधिक लोगों पर सर्वे किया था। इसमें बाहर से आए पर्यटक, श्रद्धालु और स्थानीय लोगों से बातचीत की गई थी। बदलते परिवेश में स्थानीय छोटे और बड़े दुकानदार अयोध्या के विकास से अपनी आजीविका के लिए नए अवसरों को खोजने के लिए भी तत्पर हैं। श्रद्धालुओं और पर्यटकों से बातचीत के आधार पर 90 फीसदी लोगों ने 22 जनवरी के बाद दोबारा आने की बात कही और विकास कार्यों के प्रति संतुष्टि जाहिर की।

पीएम मोदी ने लोगों से जो यह अपील की है कि ‘देश के सभी 140 करोड़ देशवासी, 22 जनवरी, 2024 को जब अयोध्या में प्रभु श्रीराम विराजमान हों, तब अपने घरों में श्रीराम राम ज्योति जलाएं, दिवाली मनाएं। यह अपील सर्वथा उचित है। निश्चित रूप से 22 जनवरी की शाम पूरे भारतवर्ष में जगमग होनी चाहिए क्योंकि जो देश और देशवासी अपनी विरासत, परंपराओं और धरोहरों का सम्मान एवं रक्षण करते हैं वे ही नई ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं।

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