ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर लगभग दो किलोग्राम की फायर प्रूफ जैकेट बनाई है। आईआईटी का दावा है कि यह जैकेट 1200 डिग्री तापमान में 15 से 20 सेकंड तक इंसान की सुरक्षा कर सकती है। यदि तापमान इससे कम हो तो अधिक समय तक कारगर हो सकती है। आग बुझाने और लोगों की जान बचाने के अलावा सुरक्षा क्षेत्र में यह जैकेट उपयोगी साबित होगी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के अनुसार, जैकेट कम कीमत और वजन के कारण अग्निशमन कर्मियों के लिए अहम साबित होगी। हालांकि, अभी इसकी कीमत का खुलासा नहीं किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी
आईआईटी दिल्ली के डीआरडीओ इंडस्ट्री एकेडमिया सेंटर फार एक्सिलेंस के निदेशक डॉ. रहमान का कहना है कि यह जैकेट अंतरराष्ट्रीय मानक नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन 1971 के अनुसार है। डीआरडीओ की फंडिंग की सहायता से आईआईटी दिल्ली ने इस जैकेट की प्रयोगशाला के स्तर पर सभी टेस्टिंग पूरी की है।
फील्ड ट्रायल की तैयारी
फील्ड ट्रायल के बाद हम इसे आगे इंडस्ट्री को ट्रांसफर करेंगे। यह जैकेट डिफेंस के अलावा अग्निशमन कर्मियों व आम लोगों की अन्य जरूरतों के लिए भी उपयोगी होगी। आने वाले समय में हम इसे विस्फोटक रोधी और धमाका रोधी भी बनाने की दिशा में काम करने की कोशिश करेंगे। जैकेट को आईआईटी दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ टेक्सटाइल एंड फैब्रिक इंजीनियरिंग के प्रो. अपूर्वा दास के नेतृत्व में उनकी टीम की शोधार्थी भावना राजपूत, रोचक राठौर और तथागत दास ने तैयार किया है।
हजारों लोगों की जान बचा सकती है
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो द्वारा प्राप्त जानकारी में दिया गया है कि वर्ष 2017 से 2021 के बीच आग लगने की 55 हजार 353 घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें 54 हजार 280 लोगों की मौत हुई। सबसे ज्यादा 4348 घटनाएं रिहायशी इलाकों और इमारतों में हुईं। इसके बाद कॉमर्शियल इमारतों में 274, गाड़ियों में 241 घटनाएं हुईं।
गर्मी में सर्वाधिक घटनाएं
गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं। घर, औद्योगिक क्षेत्र, शैक्षणिक स्थल, सरकारी दफ्तर और रिहायशी इमारतों में भी छोटी-छोटी लापरवाही या एसी, कूलर, पंखों में शार्ट सर्किट से भी आग लगने की घटनाएं देखी गई हैं। इंडिया स्टेट ऑफ फायर रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में जंगल में 3.98 लाख आग की घटनाएं नोटिस की गई हैं।
यह विशेषता है
आईआईटी दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ टेक्सटाइल एंड फैब्रिक इंजीनियरिंग और डीआरडीओ के सहयोग से बनी यह जैकेट पूरी तरह से स्वदेशी, कम लागत वाली संरचनात्मक अग्निशमन जैकेट डिजाइन बहुपरत वाली है।
यह नमी अवरोधक, थर्मल लाइनर और फेस फैब्रिक है। बाहरी आवरण पर मेटा- एरीमिड बुने हुए कपड़े का प्रयोग हुआ है। पीयू कोटेड पीटीएफई लैमिनेटेड मेटा-अरिमिड नॉनवॉवन फैब्रिक का उपयोग जैकेट के लिए नमी अवरोधक के रूप में किया गया है। जैकेट में थर्मल लाइनर के रूप में मेटा-एरीमिड बहु-स्तरित गैर बुने हुए कपड़े का उपयोग किया गया है। बेहतर इन्सुलेशन प्राप्त करने के लिए थर्मल लाइनर को विभिन्न क्षेत्रीय घनत्व की विभिन्न परतों में बांटा गया है। डिजाइन को इन-हाउस विकसित और मान्य सॉफ़्टवेयर सिमुलेशन टूल के माध्यम से अनुकूलित किया गया है। यह पहनने वाले के लिए भी आरामदायक है।