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कहना गलत नहीं होगा कि गोरे अंग्रेजों के ये बरसों पुराने बेसुरे राग अपने आप ही तिनके की तरह हल्के होकर हवा में उड़ गए हैं । सुनक की ताजपोशी से अब सभी को यह अच्छी तरह से समझ में आने लगा है कि आज की तारीख में ब्रिटेन में भारतीय मूल के एक ऐसे ब्रितानी नागरिक की जरूरत शिद्दत के साथ महसूस की जाने लगी है जो वहाँ के गोरे साहबों को एकता के सूत्र में बांध कर इस देश को आर्थिक भंवर से निकाल कर वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान कर सके । ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक की सबसे बड़ी चुनौती भी यही है कि ब्रिटेन को आर्थिक परेशानी के अब तक के सबसे मुश्किल दौर से बाहर कैसे लाया जाए? प्रधानमंत्री पद पर सुनक की ताजपोशी का सबसे आश्चर्यजनक प्रतीकात्मक महत्व यह भी है कि वो जिस श्याम वर्णीय गैर ईसाई समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं वो न केवल ब्रिटेन बल्कि यूरोप के अन्य देशों के साथ ही अमेरिका समेत पश्चिम के कमोबेश सभी देशों में किसी न किसी रूप में नस्लभेद का शिकार भी है। इस पृष्ठभूमि में ऋषि सुनक का ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त होना, ब्रिटेन में रह रहे दुनिया के उन असंख्य देशों के लोगों के लिए आशा की एक किरण का ही पर्याय कहा जाएगा जो देश कभी साम्राज्यवादी ब्रिटेन के औपनिवेशिक गुलाम रह चुके थे। ऐसे लोग सदियों से वहाँ रहते हुए अब उसी देश ब्रिटेन के नागरिक बन चुके हैं ।
सुनक ब्रिटेन के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने हैं जिन्होंने बहुत कम समय में हाउस ऑफ कामन्स के सांसद से लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट तक का सफर तय किया है। ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले भारतवंशी प्रधानमंत्री होने के साथ ही पहले श्याम वर्ण के गैर ईसाई प्रधानमंत्री भी हैं। उनकी इन्हीं विशिष्टताओं के चलते उनको ब्रिटेन के बराक ओबामा आंदोलन का जनक भी कहा जाता है। ब्रिटेन के एक हिन्दू परिवार में जन्मे ऋषि सुनक को ब्रिटेन के साउथेम्पटन क्षेत्र स्थित जिस मंदिर परिसर में आध्यात्म, हिन्दुत्व और वैदिक वातावरण को देखने, सुनने और समझने का मौका मिला उस मंदिर परिसर का निर्माण आज से 50 साल पहले उनके दादा रामदास सुनक ने किया था। उनका परिवार आज भी इसी मंदिर परिसर में पूजा अर्चना करता है ।
ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने पर सबसे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको बधाई दी। ऋषि सुनक प्रधानमंत्री मोदी के साथ हर तरह के राजनीतिक धार्मिक और सामाजिक विचार साझा करते हैं। शायद यही वजह है कि दुनिया के सभी नेताओं से पहले नरेंद्र मोदी ने ही उनको प्रधानमंत्री बनने पर बधाई संदेश भेजा था। अपने संदेश में श्री मोदी ने कहा था कि ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर हार्दिक बधाई, उम्मीद है कि 2030 के रोड मॅप पर काम करते हुए वैश्विक मुद्दों पर आपस में मिल कर काम करने के मौके मिलेंगे। इस दीवाली की विशेष बधाई कि इस बहाने भारत और ब्रिटेन को आपसी हितों के साथ ही वैश्विक मुद्दों पर भी एक साथ काम करने के अवसर हासिल होंगे। ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री के रूप में देश के अंदर और बाहर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना होगा। इसी कड़ी में विदेश नीति को लेकर उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो दुनिया के अन्य देशों के साथ ही भारत के साथ आपसी संबंधों को पहले से कहीं अधिक मजबूती प्रदान करने की दिशा में ईमानदारी से काम करें। भारत के संदर्भ में उनके सामने यह चुनौती इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और ब्रिटेन के बीच अतीत में शासक और शासित का नाता रहा है। 75 साल पहले भारत में अंग्रेजों का ही शासन था। ऐसे में दोनों देशों के बीच बराबरी के संबंध बनाने में कुछ व्यावहारिक दिक्क तें तो होंगी ही लेकिन उम्मीद है सुनक इस समस्या को हल कर लेंगे।
प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक को बधाई देने वाले ब्रिटेन के एक पूर्व प्रधानमंत्री डेविड केमरान ने तो अपने बधाई संदेश में यह भी कहा है कि उनको एक दशक पहले ही यह अंदाजा हो गया था कि उनकी कंजरवेटिव पार्टी को किसी भारतवंशी को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए। आज यही सच साबित हुआ। इस बीच व्हाट्सअप पर मजाकिया लहजे में यह चर्चा भी जोरों पर है कि ब्रिटेन में अब अमर, अकबर एंथनी का राज चल रहा है। प्रधानमंत्री हिन्दू हैं तो लंदन के मेयर मुस्लिम और ब्रिटेन के राजा हैं ईसाई।